द्वापर युग की बात है। यह बात हर कोई जानता था कि कौरव, पांडवों को हमेशा से अपना शत्रु मानते थे और कैसे भी करके उन्हें मारने की योजना बनाते रहते थे। एक बार जब पांचों पांडव और कुंती वार्णावर्त नगर में महादेव का मेला देखने गए, तब दुर्योधन ने उन्हें मारने की योजना बनाई। उसने पांडवों के विश्राम के …
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महाभारत की कहानी: दानवीर कर्ण !!
महाभारत की कथा में कई महान चरित्रों का जिक्र है। उन्हीं में से एक थे दानवीर कर्ण। श्रीकृष्ण हमेशा कर्ण की दानवीरता की प्रशंसा करते थे। वहीं, अर्जुन और युधिष्ठिर भी दान-पुण्य करते रहते थे, लेकिन श्रीकृष्ण कभी उनकी प्रशंसा नहीं करते थे। एक दिन अर्जुन ने श्रीकृष्ण से इसका कारण पूछा। श्रीकृष्ण बोले, “समय आने पर वह यह साबित …
Read More »महाभारत की कहानी: भीष्म पितामह के पांच चमत्कारी तीर!!
यह बात उस समय की है, जब कुरुक्षेत्र में कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध चल रहा था। पितामह भीष्म कौरवों की ओर से युद्ध लड़ रहे थे, लेकिन कौरवों के सबसे बड़े भाई दुर्योधन को लगता था कि भीष्म पितामह पांडवों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते हैं। दुर्योधन का मानना था कि पितामह भीष्म बहुत शक्तिशाली हैं और पांडवों …
Read More »गीता जी के तेरहँवे अध्याय का माहात्म्य
श्री नारायण जी बोले हे लक्ष्मी ! अब तेरहँवे अद्याय का महात्मय सुनो। दक्षिण देश में हरी नमक नगर था ,वहां एक व्यभिचारिणी स्त्री रहती थी। एक दिन एक पुरुष को उसने वचन दिया की ,मैं अमुक स्थान में तेरे पास आऊँगी ,तुम वहां चलो। वह पुरुष किसी और वन में चला गया और स्त्री ढूंढती - ढूंढती हैरान हो गयीपैर वह पुरुष न मिला।
Read More »कर्म का फल
भीष्म पितामह रणभूमि में शरशैया पर पड़े थे। हल्का सा भी हिलते तो शरीर में घुसे बाण भारी वेदना के साथ रक्त की पिचकारी सी छोड़ देते। ऐसी दशा में उनसे मिलने सभी आ जा रहे थे। श्री कृष्ण भी दर्शनार्थ आये। उनको देखकर भीष्म जोर से हँसे और कहा…. आइये जगन्नाथ।.. आप तो सर्व ज्ञाता हैं। सब जानते हैं, …
Read More »महाराज जुधिष्ठिर और भीम
यह कहानी है महाभारत की समय की। महारज जुधिष्ठिर बहुत बड़े धर्मात्मा थे। जो भी उनके पास कुछ मांगने आता था वह उसकी इच्छा जरूर पूरी करते थे। एक दिन एक ब्राह्मण उनकी बेटी के शादी के लिए उनसे कुछ आर्थिक सहायता लेने आया। उनसे धन मांगने के लिए आया। जुधिष्ठिर महाराज उस दिन बहुत व्यस्त थे। उन्होंने ब्राह्मण से …
Read More »श्रीकृष्ण – चरित्र (Krishna – Character)
समदर्शिता भगवान श्रीकृष्ण समदर्शी थे, और उनकी समदर्शिता की सीमा में केवल मनुष्य – समाज ही आता हो, सो बात नहीं, पशु – पक्षी, लता – वृक्ष आदि सभी के लिए उसमें स्थान था । उन्होंने गौओं की सेवा कर पशुओं में भी भगवान का वास दिखलाया । कदंब आदि वृक्षों के तले वन में विहार कर, उभ्दिज्ज – जगत …
Read More »महाभारत से एक बहुत अच्छी कहानी
महाभारत की एक बहुत अच्छी कहानी – बहुत प्रासंगिक कर्ण कृष्ण से पूछता है – “मेरी माँ ने मुझे पल जन्म दिया था। क्या यह मेरी गलती है कि मैं एक नाजायज बच्चे का जन्म हुआ? मुझे ध्रुवचर्या से शिक्षा नहीं मिली क्योंकि मुझे गैर क्षत्रिय माना जाता था। परशुराम ने मुझे सिखाया लेकिन तब मुझे क्षत्रिय होने के बाद …
Read More »सबसे बड़ा दान क्या है ?
यज्ञ में युधिष्ठिर से प्रश्न किया गया ‘श्रेष्ठ दान क्या है’ ? इस पर युधिष्ठिर ने उत्तर दिया, ‘जो सत्पात्र को दिया जाएं । जो प्राप्त दान को श्रेष्ठ कार्य में लगा सके, उसी सत्पात्र को दिया दान श्रेष्ठ होता है । वहीं पुण्यफल देने में समर्थ है ।’ कर्ण ने अपने कवज का शिवि ने अपने मांस का, जीमूतवाहन …
Read More »द्रौपदी- स्वयंवर की कथा
राजा द्रुपद के मन में यह लालसा थी कि मेरी पुत्री का विवाह किसी-न- किसी प्रकार अर्जुन के साथ हो जाये। परन्तु उन्होनें यह विचार किसी से प्रकट नहीं किया। अर्जुन को पहचानने के लिये उन्होनें एक धनुष बनवाया, जो किसी दूसरे से झुक न सके। इसके अतिरिक्त्त आकाश में ऐसा कृत्रिम यन्त्र टँगवा दिया, जो चक्कर काटता रहता था। …
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