सचिव कैसा होना चाहिए और उसे सचिव धर्म का पालन किस प्रकार करना चाहिए, इसका उत्तम उदाहरण श्रीहनुमान जी ने दिखाया है । महाबली वाली के दुरत्यय आघात के कारण सुग्रीव को त्रैलोक्य में कहीं ठिकाना नहीं रह गया था । ऐसे दीन, निराश्रय जन का साथ देकर महाबली वाली से वैर मोल लेना मामूली बात नहीं थी । ऐसी …
Read More »Tag Archives: mantri
राजा खनित्र का सद्भाव
पूर्वकाल में प्रांशु नामक एक चक्रवती सम्राट थे । इनके ज्येष्ठ पुत्र का नाम प्रजाति था । प्रजाति के अनित्र, शौरि, उदावसु, सुनय, महारथ नामक पांच पुत्र हुए । उनमें खनित्र ही अपने पराक्रम से विख्यात राजा हुए थे । वे शांत, सत्यवादी, शूर सब प्राणियों के हितैषी, स्वधर्म परायण, सर्वदा वृद्ध सेवी, विजय – संपन्न और सर्वलोकप्रिय थे । …
Read More »