दूल्हा सा लगे….डिल्धार सवारीए || मस्तक पर मलयाकी चांधन केसर तिलक लगाया ||मस्तक|| मूर मुकुटकानोमे कुंडल एटर बहुत बरसया ||मस्तक|| ओह महकता रही ओह दरबार सवारीए ..2 ||तेरा|| भाग को से कालिया चुन चुन कर सुंदर हार बनाया ||भाग|| रहे सलामत हाथ सदा वो, जिसने तुमे सजाया ओह सजाता रहे वो हर्बार सवारी..2 ||तेरा|| बोल कन्नैईया बोल तुजे मे कौन …
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