रामा रामा रटते रटते बीती रे उमरिया। रघुकुल नंदन कब आओगे भिलनी की नगरिया॥ मैं शबरी भिलनी की जाई, भजन भाव ना जानु रे। राम तेरे दर्शन के कारण वैन में जीवन पालूं रे॥ चरणकमल से निर्मल करदो दासी की झोपड़िया॥ रोज सवेरे वन में जाकर फल चुन चुन के लाऊंगी। अपने …
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क्यों पीवे तू पानी हंसिनी
क्यों पीवे तू पानी हंसिनी,क्यों पीवे तू पानी, सागर खीर भरा घट भीतर, पीयो सूरत तानी हंसिनी, क्यों पीवे तू पानी । जग को जार धसो नभ अंदर, मंदर परख निशानी हंसिनी, क्यों पीवे तू पानी । गुर मूरत तू धार हिये में, मन के संग क्यों फिरत निमाणी हंसिनी, क्यों पीवे तू पानी । तेरा काज करे गुर पूरे, …
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