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Tag Archives: Moral story in Hindi

मुंशी प्रेमचंद की कहानी: शूद्र!!

गांव के सिरे पर एक मां-बेटी झोपड़ी में रहती थी। मां विधवा थी तो बेटी कुवांरी। घर में और कोई आदमी न था। बेटी गौरा बाग से पत्तियां बटोर कर लाती तो मां गंगा भाड़ झोंकती थी। इससे सेर भर अनाज मिल जाता तो दोनों खाकर सो पड़ती थी। इसी से उनका गुजर-बसर हो रहा था। हर मां की तरह …

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मुंशी प्रेमचंद की कहानी: अपनी करनी!!

ओह हो! मेरे ही कर्मों की वजह से आज मैं इतना अभागा महसूस कर रहा हूं। मेरे ऊपर आज अपमान भी हंसता होगा, क्योंकि मैंने खुद अपने हाथों से सब कुछ उजाड़ दिया। एक साल पहले मैं इतना किस्मत वाला था, क्या ही कहूं। आराम की जीवन, अच्छी सेहत, पत्नी और दो प्यारे बच्चे, ऊंचा घराना उसपर पढ़ा-लिखा होने के …

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शेखचिल्ली की कहानी : खिचड़ी!!

शेखचिल्ली एक बार अपनी सास से मिलने के लिए ससुराल गया। दामाद के आने की खबर मिलते ही सासु मां ने शेख के लिए खिचड़ी बनाना शुरू कर दिया। शेख भी कुछ देर बाद ससुराल पहुंच गए। वहां पहुंचते ही सासु से मिलने के लिए शेख सीधे रसोई में चला गया। सास से बातें करते हुए अचानक शेखचिल्ली का हाथ …

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शेख चिल्ली की कहानी : बुरा सपना!!

शेखचिल्ली सुबह परेशान होकर उठा। उसे परेशान देख उसकी मां ने पूछा, बेटा क्या तुमने आज भी वो डरावना सपना देखा? शेखचिल्ली ने अपनी गर्दन को हिलाया और अपनी अम्मी के गले से लग गया। शेखचिल्ली अपनी अम्मी से बहुत प्यार करता था और वो ही उसका पूरा परिवार थीं। शेखचिल्ली की अम्मी ने कहा, ‘मैं आज तुम्हें हकीम जी …

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शेखचिल्ली की कहानी : खीर !!

शेखचिल्ली बेहद ही मूर्ख था और हमेशा मूर्खता भरी बातें करता था। उसकी मां अपने बेटे की मूर्खता भरी बातों से बहुत परेशान रहती थी। एक बार शेखचिल्ली ने अपनी मां से पूछा कि लोग मरते कैसे हैं? मां ने सोचा कि इस मूर्ख को कैसे समझाऊं, तो मां ने कह दिया कि लोग जब मरते हैं, तो बस उनकी …

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शेखचिल्ली की कहानी : कैसे नाम पड़ा !!

ऐसा कहा जाता है कि शेखचिल्ली का जन्म गरीब परिवार में किसी गांव में हुआ था। उसके पिता बचपन में ही गुजर गए थे, इसलिए उसकी मां ने उसकी परवरिश की थी। शेख की मां ने इस सोच से बेटे को पाला-पोसा था कि वो बड़ा होकर कमाएगा और उनकी गरीबी भी दूर हो जाएगी। इसी सोच के साथ शेख …

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सिंहासन बत्तीसी की इक्कीसवीं कहानी – चन्द्रज्योति पुतली की कथा!!

इस बार भी राजा भोज सिंहासन पर बैठने के लिए आगे बढ़ते हैं और तभी इक्कीसवीं पुतली चन्द्रज्योति वहां प्रकट होती है। चन्द्रज्योति राजा भोज को रोकती है और साथ ही उन्हें राजा विक्रमादित्य के गुणों से जुड़ी एक कहानी सुनाती है, जो इस प्रकार है – एक बार राजा विक्रमादित्य ने राज्य में एक यज्ञ कराने का सोचा। वह …

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सिंहासन बत्तीसी की सताइसवीं कहानी – मलयवती पुतली की कथा!!

राजा भोज के मन में कैसे भी करके महाराज विक्रमादित्य के सिंहासन पर बैठने की लालसा थी लेकिन हर बार उनको सिंहासन में चिपकी हुई पुतली रोक लेती थी। और उन्हें कहानी के माध्यम से महाराज विक्रमादित्य के गुणों के बारे में बतातीं थीं जो राजा भोज में नहीं थे, जिस कारण राजा भोज सिंहासन पर नहीं बैठ पाते थे। …

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छद्दन्द हाथी की कहानी – जातक कथा !!

हिमालय के घने वनों में कभी सफेद हाथियों की दो विशिष्ट प्रजातियाँ हुआ करती थीं – छद्दन्त और उपोसथ। छद्दन्त हाथियों का रंग सफेद हुआ करता था और उनके छ: दाँत होते थे। (ऐसा पालि साहित्य मे उल्लिखित है।) छद्दन्त हाथियों का राजा एक कंचन गुफा में निवास करता था। उसके मस्तक और पैर माणिक के समान लाल और चमकीले …

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सिंहासन बत्तीसी की पच्चीसवीं कहानी – त्रिनेत्री पुतली की कथा!!

एक के बाद एक करके लगभलग चौबीस पुतलियों ने राजा भोज को महाराज विक्रमादित्य की कहानी के जरिए चौबीस गुणों के बारे में बता दिया था जिसे जानकर वह बहुत हर्षित हुए। इसके बाद बारी थी पच्चीसवीं पुतली की जैसे ही राजा भोज सिंहासन की ओर बढ़े उन्हें पच्चसवीं पुतली ने रोक लिया और कहानी के माध्यम से महाराज विक्रमादित्य …

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