गजब की बांसुरी बजती है वृन्दावन बसैया की, करूँ तारीफ़ मुरली की या मुरली धर कन्हैया की । जहां न काम चलता तीर और कमानो से, विजय नटवर की होती है वहां मुरली की तानो से ॥ श्याम बांसुरी बजाये री अधर धर के, रूप माधुरी पिलाए यह तो भर भर के । बांसुरी बज के छीने मन का आराम …
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श्याम संग राधा नाचे रे
गोकुल में देखो, वृंदावन में देखो, मुरली बाजे रे श्याम संग राधा नाचे रे चन्द्र किरण सा श्याम सलोना, दोई आँखे कजरारी ठुमक ठुमक नाचे, गोपियन के संग, जग का पालन हारी सार बिहारी संग राधा सुकुमारी, ब्रिज में विराजे रे, श्याम संग राधा नाचे रे… छम छम नाचे राधे रानी सुन कर मीठी मुरलिया श्याम छवि पर सब बलिहारी …
Read More »कमल लोचन कटि पीताम्बर
कमल लोचन कटि पीताम्बर, अधर मुरली गिरिधरम् मुकुट कुंडल कर लकुटिया, सांवरे राधे वरम् । कूल यमुना धेनु आगे, सकल गोपिन मन हरम् पीत वस्त्र गरुड़ वाहन,चरण नित सुख सागरम् ।। वंशीधर वसुदेव छलिया, बलि छल्यो हरि वामनम् डूबते गज राख लीन्हों, लंका छेड्यो रावणम् ।। दीनानाथ दयालु सिन्धु, करुणामय करुणाकरम् कविदत्त दास विलास निशदिन, नाम जप नित नागरम् ।। …
Read More »कान्हा रे
कान्हा रे तू तो मुझको जाने तू तो सब कुछ जाने मैं तो नाचूंगी मैं तो गाऊँगी तेरी मुरली की धुन सुन नाचूंगी तेरी मुरली की धुन सुन गाऊँगी मैं तो नाचूंगी तन और मन के भक्ति योग से मैं बनी संवरिया तन और मन के कर्म योग से मैं बनी बंसुरिया कान्हा रे तू चाहे तो बजा ले कान्हा …
Read More »मैं हरि बिन क्यूँ जियूँ री माई
मैं हरि बिन क्यूं जिऊं री माई॥ पिव कारण बौरी भई, ज्यूं काठहि घुन खाई॥ मैं हरि बिन क्यूं जिऊं री माई॥ ओखद मूल न संचरै, मोहि लाग्यो बौराई॥ मैं हरि बिन क्यूं जिऊं री माई॥ कमठ दादुर बसत जल में जलहि ते उपजाई। मैं हरि बिन क्यूं जिऊं री माई॥ मीन जल के बीछुरे तन तलफि करि मरि जाई॥ …
Read More »गोविन्द मेरी यह प्रार्थना है
श्री राम जय राम जय जय दयालु श्री राम जय राम जय जय कृपालु गोविन्द मेरी यह प्रार्थना है कि भूलूँ कभी न मैं नाम तेरा निश दिन मैं तो तेरे गीत गाऊं श्री राम जय राम जय जय दयालु श्री राम जय राम जय जय दयालु श्री राम जय राम जय जय कृपालु देहान्तकाले तुम सामने हो मुरली बजाते …
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