एक दिन एक व्याध भयानक वन में शिकार करते समय पत्थर – पानी – हवा की चोट से अत्यंत दुर्गति में पड़ गया । कुछ दूर आगे बढ़ने पर उसे एक वृक्ष दिखा । उसकी छाया में जाने पर उसे कुछ आराम मिला । तब तब उसे स्त्री – बच्चों की चिंता सताने लगी । इधर सूर्यास्त भी हो गया …
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कलियुग का पुनीत प्रताप
कलियुग का एक पुनीत (पवित्र) प्रताप यह है कि इसमें मानसिक पुण्य तो फलदायी होते हैं, परंतु मानसिक पापों का फल नहीं होता । ‘पुनीत प्रताप’ इसलिए कहा गया है कि जिस प्रकार सत्ययुग, त्रेता और द्वापर में मानसिक पापों के भी फल जीवों को भोगने पड़ते थे उस प्रकार कलियुग में नहीं होता । यहीं कलि की एक विशेषता …
Read More »भगवन्नाम समस्त पापों को भस्म कर देता है
कन्नौज के आचारच्युत एवं जातिच्युत ब्राह्मण अजामिल ने कुलटा दासी को पत्नी बना लिया था । न्याय – अन्याय से जैसे भी धन मिले, वैसे प्राप्त करना और उस दासी को संतुष्ट करना ही उसका काम हो गया था । माता पिता की सेवा और अपनी विवाहिता साध्वी पत्नी का पालन भी कर्तव्य है, यह बात उसे सर्वथा भूल चुकू …
Read More »राजा खनित्र का सद्भाव
पूर्वकाल में प्रांशु नामक एक चक्रवती सम्राट थे । इनके ज्येष्ठ पुत्र का नाम प्रजाति था । प्रजाति के अनित्र, शौरि, उदावसु, सुनय, महारथ नामक पांच पुत्र हुए । उनमें खनित्र ही अपने पराक्रम से विख्यात राजा हुए थे । वे शांत, सत्यवादी, शूर सब प्राणियों के हितैषी, स्वधर्म परायण, सर्वदा वृद्ध सेवी, विजय – संपन्न और सर्वलोकप्रिय थे । …
Read More »भगवान भास्कर की आराधना का अद्भुत फल
महाराज सत्राजित का भगवान भास्कर में स्वाभाविक अनुराग था । उनके नेत्र कमल तो केवल दिन में भगवान सूर्य पर टकटकी लगाये रहते हैं, किंतु सत्राजित की मनरूपी आंखें उन्हें दिन – रात निहारा करती थीं । भगवान सूर्य ने भी महाराज को निहाल कर रखा था । उन्होंने ऐसा राज्य दिया था, जिसे वे अपनी प्यारभरी आंखों से दिन …
Read More »मंगलम रुक्मिणी रामनाया स्रीमताए
मंगलम रुक्मिणी रामनाया स्रीमताए मंगलम रमणीया मूर्तयए ताए मंगलम स्रवत्सा भूषाया सार्नगिनाए मंगलम नांधगोपतमजाया फूठना कंसाधी पुण्या जाना हारिनाए पुरूहुता मुक़दएवा हितकराया सूताया विजयसया सुंदरा मुकापजाया सीतकीराणाधिकूला पावनाया कालीया मौलिंानी रंजीता पथापजाया कालामपुधा श्यामा धिव्यतनवाए कारुणया रसवर्षी नयनारविनधाया कल्यानगुना रत्ना वारी निधायए नवनीता छोराया नांधाधी गोपा गो रक्षिणाए गोपिका वल्लभाया नाराधा मुनींधरनुता नामढ़ाएयेया ताए नारायानानांधा तीर्ता गुरावाए [To English Wish4me] …
Read More »तू ही सागर है तू ही किनारा
ढून्डता है तू किसका सहारा ढून्डता है तू किसका सहारा कभी टन में कभी मान में उलझा तू सदा अपने दामन में उलझा सबसे जीटा तू अपने से हारा ढून्डता है तू किसका सहारा तू ही सागर है तू ही किनारा ढून्डता है तू किसका सहारा पाप क्या पुण्या क्या तू भुला दे कर्म कर फल की चिंता मिटा दे …
Read More »दरबार लाखो देखे, दातार लाखो देखे
दरबार लाखो देखे, दातार लाखो देखे,दरबार खाटू वाले जैसा और नही,दातार बाबा जैसा कोई और नही,दरबार लाखो देखे, दातार लाखो देखे,दरबार खाटू वाले जैसा और नही,दातार बाबा जैसा कोई और नही,दरबार वाले जैसा और नही,दातार बाबा जैसा कोई और नही,भजन करो खाटू वाले का, आँख मिचकर बंदे,श्याम नाम का पुण्या कमला, छ्होर दे काले धंढेंएक दिन है तुमको जाना, बाबा …
Read More »सबसे बड़ा पुण्य !
एक राजा बहुत बड़ा प्रजापालक था, हमेशा प्रजा के हित में प्रयत्नशील रहता था. वह इतना कर्मठ था कि अपना सुख, ऐशो-आराम सब छोड़कर सारा समय जन-कल्याण में ही लगा देता था . यहाँ तक कि जो मोक्ष का साधन है अर्थात भगवत-भजन, उसके लिए भी वह समय नहीं निकाल पाता था. एक सुबह राजा वन की तरफ भ्रमण करने …
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