प्राचीन काल में सर्वसमृद्धिपूर्ण वर्धमान नगर में रूपसेन नाम का एक धर्मात्मा राजा था । एक दिन उसके दरबार में वीरवर नाम का एक गुणी व्यक्ति अपनी पत्नी, कन्या एवं पुत्र के साथ वृत्ति के लिए उपस्थित हुआ । राजा ने उसकी विनयपूर्ण बातों को सुनकर प्रतिदिन एक सहस्त्र स्वर्णमुद्रा का वेतन नियत कर सिंहद्वार के रक्षक के रूप में …
Read More »Tag Archives: raaja
राजा विदूरथ की कथा
विख्यातकीर्ति राजा विदूरथ के सुनीति और सुमति नामक दो पुत्र थे । एक समय विदूरथ शिकार के लिए वन में गये, वहां ऊपर निकले हुए पृथ्वी के मुख के समान एक विशाल गड्ढे को देखकर वे सोचने लगे कि यह भीषण गर्त क्या है ? यह भूमि पृथ्वी तो नही हो सकता ? वे इस प्रकार चिंता कर ही …
Read More »देवी षष्ठी की कथा
प्रियव्रत नाम से प्रसिद्ध एक राजा हो चुके हैं । उनके पिता का नाम था स्वायम्भुव मनु । प्रियव्रत योगिराज होने के कारण विवाह करना नहीं चाहते थे । तपस्या में उनकी विशेष रुचि थी, परंतु ब्रह्मा जी की आज्ञा तथा सत्प्रयत्न के प्रभाव से उन्होंने विवाह कर लिया । विवाह के पश्चात् सुदीर्घकाल तक उन्हें कोई भी संतान नहीं …
Read More »द्वादश ज्योतिर्लिंगों के अर्चा विग्रह – 4) श्री ओंकारेश्वर या ममलेश्वर
भगवान शिव का यह परम पवित्र विग्रह मालवा प्रांत में नर्मदा नदी के तट पर अवस्थित है । यहीं मांधाता पर्वत के ऊपर देवाधि देव शिव ओंकारेश्वर रूप में विराजमान हैं । शिवपुराण में श्रीओंकारेश्वर तथा श्रीअमलेश्वर के दर्शन का अत्यंत माहात्म्य वर्णित है । प्रसिद्ध सूर्यवंशीय राजा मांधाता ने, जिनके पुत्र अबरीष और मुचुकुंद दोनों प्रसिद्ध भगवद्भक्त हो गये …
Read More »नारद जी को विष्णु माया का दर्शन
राजा युधिष्ठिर ने पूछा – भगवन् ! यह विष्णु भगवान की माया किस प्रकार की है ? जो इस चराचर जगत को व्यामोहित करती है । भगवान श्रीकृष्ण ने कहा – महाराज ! किसी समय नारद मुनि श्वेतद्वीप में नारायण का दर्शन करने के लिये गये । वहां श्रीनारायण का दर्शन कर और उन्हें प्रसन्न मुद्रा में देखकर उनसे जिज्ञासा …
Read More »कर्तव्यपरायणता का अद्भुत आदर्श
प्राचीन काल में सर्वसमृद्धिपूर्ण वर्धमान नगर में रूपसेन नाम का एक धर्मात्मा राजा था। एक दिन उसके दरबार में वीरवर नाम का एक गुणी व्यक्ति अपनी पत्नी, कन्या एवं पुत्र के साथ वृत्ति के लिए उपस्थित हुआ। राजा ने उसकी विनयपूर्ण बातों को सुनकर प्रतिदिन एक सहस्त्र स्वर्णमुद्रा का वेतन नियत कर सिंहद्वार के रक्षक के रूप में उसकी नियुक्ति …
Read More »नवरात्र व्रत की कथा
प्राचीन काल में एक सुरथ नाम का राजा हुआ करता था । उसके राज्य पर एक बार शत्रुओं ने चढ़ाई कर दी । मंत्री गण भी राजा के साथ विश्वासघात करके शत्रु पक्ष के साथ जा मिले । मंत्जिसका परिणाम यह हुआ कि राजा परास्त हो गया, और वे दु:खी और निराश होकर तपस्वी वेष धारण करके वन में ही …
Read More »सौरधर्म का वर्णन
राजा शतानीक ने पूछा – मुने ! भगवान सूर्य का माहात्म्य कीर्तिवर्धक और सभी पापों का नाशक है । मैंने भगवान सूर्यनारायण के समान लोक में किसी अन्य देवता को नहीं देखा । जो बरण – पोषम और संहार भी करनेवाले हैं वे भगवान सूर्य किस प्रकार प्रसन्न होते हैं, उस धर्म को आप अच्छी तरह जानते हैं । मैंने …
Read More »जाने संन्यास और गृहस्थ क्या है श्रेष्ठ ?
एक राजा था । उसके राज्य में जब कभी कोई संन्यासी आते, तो उनसे वह सदैव एक प्रश्न पूछा करता था – ‘संसार का त्याग कर जो संन्यास ग्रहण करता है, वह श्रेष्ठ है, या संसार में रहकर जो गृहस्थ के समस्त कर्तव्यों को करता जाता है, वह श्रेष्ठ है ?’ अनेक विद्वान लोगों ने उसके इस प्रश्न का उत्तर …
Read More »उपदेशप्रद कहानी: सत्य की महिमा
एक सत्यवादी धर्मात्मा राजा थ। उनके नगर में कोई भी साधारण मनुष्य बिक्री करने के लिए बाजार में अन्न, वस्त्र आदि कोई वस्तु लाता और वह वस्तु यदि सायंकाल तक नहीं बिकती तो उसे राजा खरीद लिया करते थे। लोकहित के लिए राजा की यह सत्य प्रतिज्ञा थी। अत: सायंकाल होते ही राजा के सेवक शहर में भ्रमण करते और …
Read More »