ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियां | किलकि किलकि उठत धाय, गिरत भूमि लटपटाय | धाय मात गोद लेत, दशरथ की रनियां || अंचल रज अंग झारि, विविध भांति सो दुलारि | तन मन धन वारि वारि, कहत मृदु बचनियां || विद्रुम से अरुण अधर, बोलत मुख मधुर मधुर | सुभग नासिका में चारु, लटकत लटकनियां || तुलसीदास अति आनंद, देख …
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देखा लखन का हाल तो श्री राम रो पड़े
देखा लखन का हाल तो श्री राम रो पड़े ।अंगत सुग्रीव जामवंत बलवान रो पड़े ॥ लंका विजय की अब मुझे, चाहत नहीं रही ।मुझमें धनुष उठाने की, ताकत नही रही ।रघुवर के साथ धरती, आसमान रो पड़े ॥ करने लगे विलाप, श्री राम फुटकर ।क्या मै जवाब दूँगा, अयोध्या में लौटकर ।जितने थे मन में राम के, अरमान रो …
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