दोहा श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार । बल बुधि बिद्या देहु मोहि, हरहु कलेस विकार ।। चौपाई जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ।। राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ।। महाबीर बिक्रम बजरंगी …
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आज मंगलवार है महावीर का वार है
आज मंगलवार है, महावीर का वार है, यह सच्चा दरबार है । सच्चे मन से जो कोई धयावे, उसका बेडा पार है ॥ चेत सुति पूनम मंगल का जनम वीर ने पाया है, लाल लंगोट गदा हाथ में सर पर मुकुट सजाया है । शंकर का अवतार है, महावीर का वार है, सच्चे मन से जो कोई धयावे, उसका बेडा …
Read More »पूजा करो हनूमान की बोलो राम राम जी
पूजा करो हनूमान की, बोलो राम राम जी पीला पीताम्बर मेरे राम और लक्ष्मण लाल लंगोट हनुमान जी, राम राम केसर तिलक मेरे राम और लक्ष्मण लाल सिन्दूर हनुमान जी, राम राम खट्टे मीठे मेरे राम और लक्ष्मण चूरमे का लड्डू हनुमान जी, राम राम रावण को मारा मेरे राम और लक्ष्मण लंका जलाई हनुमान जी, राम राम सोने …
Read More »सालासर वाले ने कमाल कर दिया
सालासर वाले ने कमाल कर दिया, जो भी आया दर पे मालामाल कर दिया। मेंहदीपुर वाले ने कमाल कर दिया, जो भी आया दर पे मालामाल कर दिया॥ दानियो में दानी मेरा सालासर वाला, बड़ा दिलदाार सारे जग का रखवाला। सुन करके अर्जी सबका काम कर दिया, जो भी आया दर पे मालामाल कर दिया॥ सालासर वाले ने कमाल कर …
Read More »कैकेयी का अनुताप
“यह सच है तो अब लौट चलो तुम घर को |” चौंके सब सुनकर अटल कैकेयी स्वर को | सबने रानी की ओर अचानक देखा, बैधव्य-तुषारावृता यथा विधु-लेखा | बैठी थी अचल तथापि असंख्यतरंगा , वह सिंही अब थी हहा ! गौमुखी गंगा — “हाँ, जनकर भी मैंने न भारत को जाना , सब सुन लें,तुमने स्वयं अभी …
Read More »चाकर प्रीतम प्यारी के हम
चाकर प्रीतम प्यारी के हमवृन्दाविपिन बिहारी के अरु, श्री बरसाने वारी के, हम… पास ना फटकता महा विष्णु के, और उनकी घरवारी के, हम… चिन्मय दिव्य धाम वृन्दावन विहरत संग बिहारी के, हम… कबहुँ सराहत पक्ष प्यारी के, कबहुँ पक्ष बनवारी के, हम… परत न जाल ‘कृपालु’ भुलिहुँ, मुक्ति पिशाचिनी नारी के, हम… wish4me to English chaakar preetam pyaaree ke …
Read More »श्रीराम भक्त
भगवान श्रीरामचंद्र जी ऐसे शरणागतवत्सल हैं कि जो जीव एक बार भी सच्चे हृदय से उनके शरणागत हो गया, उसके वचन और कर्तव्य की चूक पर फिर कभी दृष्टि न देकर वे केवल उसके ‘हिए’ के निश्चय की ओर ही देखते हैं । वे कतहते हैं कि ‘इस जीवन ने अनन्य गति से मुझको अपना शरण्य निश्चय कर लिया है, …
Read More »श्री शबरी जी की भक्ति
सबको परमगति प्रदान करते हुए उदारशिरोमणि भगवान शबरी को भी गति देने के लिए उसके आश्रम में पधारे । ‘आश्रम’ शब्द से शबरी जी का विरक्त होना सूचित किया गया है, क्योंकि वन में बहुत – से कोल – किरात आदि भी निवास करते हैं, परंतु उनके घरों को कभी ‘आश्रम’ नहीं कहा जाता । शबरी जी मन, वचन और …
Read More »लोकनायक श्रीकृष्ण
कहा जाता है कि जिसे किसी का आसरा नहीं उसे महादेव के यहां आश्रय मिलता है । अंधे, पंगु, अपंग और पागल ही नहीं बल्कि भूत – प्रेत, विषधर सर्प वगैरह भी महदेव के पास आश्रय पा सकते हैं । विष्णु की कीर्ति इस रूप में नहीं गायी गयी, फिर भी वह दीनानाथ हैं । श्रीकृष्णावतार तो दीन दुखी और …
Read More »राम अंश
अंसन्ह सहित मनुज अवतारा । लेहउं दिनकर बंस उदारा ।। ब्रह्मादि देवताओं की पुकार पर आकाशवाणी में ‘अंसन्ह सहित’ अवतार लेने की ब्रह्मगिरा हुई, उसी प्रकार श्रीस्वायंभुव मनु को भी वचन दिया गया – अंसन्ह सहित देह धरि ताता । करिहउं चरित भगत सुखदाता ।। अतएव इस बात की खोज आवश्यक है कि परम प्रभु के वे अंश कौन कौन …
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