राममनोहर लोहिया अपने वचन के पक्के थे। वह जो एक बार कह देते, उस पर टिके रहते थे। एक रात वह अपने एक मित्र के साथ कार में घूमने निकले। लोहिया जी तेजी से गाड़ी चला रहे थे। सामने सड़क पर एक किसान बिना लाइट की मोटरगाड़ी में सब्जियां रखकर ला रहा था। लोहिया जी की गाड़ी किसान की गाड़ी …
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हम प्रेम दीवानी है…. वो प्रेम दीवाना
हे उद्धू, हमे ज्ञान की….पोती ना सुनना…. तां मान जीवन श्याम का… श्याम हमारा काम….||त|| रोम रोम मे राम रहा, वो मतवाला श्याम एस तां मे, अब योग का, नही कोई टिकना….2 हे उद्धू, हमे ज्ञान की….पोती ना सुनना….|| उद्धू एन आसवांको, हरी संकुहक लेजा… पूछे हरी कुशल कू, चरणोमे डियो चड़ाई कही होगी एस प्रेम का, यह कुछ नज़र …
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