हनुमान जी आप बजरंग बली महावीर ||टेर|| भक्तजनों का काज सारिया, जब जब पडी भक्तों पर भीर ||1|| चारों जुगां मेँ विचरण करता, आपरो अजर अमर शरीर ||2|| संजीवनी कारण धौलागिरी धर लायो, जब लाग्यो लक्षमण रे तीर ||3|| कर कमल में गदा धारी, जडीया मोती नवलख हीर ||4|| मंगल शनि तो दिन आपरे, तेल सिँदूर शोभे शरीर ||5|| माता …
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