सर्वेश्वरी, जय जय जगदीश्वरी माँ, तेरा ही एक सहारा है तेरी आंचल की छाहँ छोड़ अब नहीं कहीं निस्तारा है सर्वेश्वरी जय जय ------------ मैं अधमाधम, तू अघ हारिणी ! मैं पतित अशुभ, तू शुभ कारिणी हें ज्योतिपुंज, तूने मेरे मन का मेटा अंधियारा है !! सर्वेश्वरी, जय जय -------------- तेरी ममता पाकर किसने ना अपना भाग्य सराहा है कोई …
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