गणपति गोरी जी के नंदन गणेश जी, मैं शरण तुम्हारी आया हूँ , मेरी रक्षा करो हमेश जी । सबसे पहले तुम्हे धयाऊँ , फिर देवों के दर्शन पाऊं । गज बदन मूसे की सवारी, गजब तुम्हारा भेस जी ॥ तुम हो रिद्धि-सिद्धि के दाता, तुम बिन ज्ञान कोई न पाता । हे गजानन विश्व विधाता, मन में करो प्रवेश …
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जे गणेश…
माता जाकी पार्वती पिता जे गणेश……. लड्डूवन को भोग लगे संत करे सेवा (2) जे गणेश……. एक दाँत दयावांत चार भुजा धारी (2) माथे पे सिंदूर सोहे म्यूज़्ज़ की सवारी (2) दुखियो के दूख हारत परमानंद देव ||1|| जे गणेश……. अंधन को आँख डाट कोढ़ियाँ को काया (2) बांझाँ को पुत्रा दे निर्धन को माया (2) भाव से पार करो …
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