मई तो गयई यमुना मे, भर ने को पानी देखी छवि नटखट की, हुयाई मे दीवानी उसने वारी जो तिरछी नज़र, सावरा जादूघर तां सुन्न मुरली की, सुध बुध मे कोगयई भूल गयई लोक लाज, तेरी मे होगयई छोड़ के जाऊ तुज़कू किधर, सावरा जादूगर बाँध ली रमण तुमसे, आशा की लाडिया तू है तामाना मेरा, जीवन की नधिया तेरे …
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