तोहे बड़ा होके करने है बड़े बड़े काम,इस जग से मताना है पापियों का नाम,सोजा बेटा सोजापल की आस लगाये तुझपे वारी जाए ओ ममता वावंरे इक मन चाहा वरदान है तू,मेरा नन्हा सा भगवान है तू,सोजा लला सोजामुख देखे सुख पाएफूली नही समाये ओह ममता वनवारी…………. लाड़ली श्यामा जू,रख लो मुझे बरसाने में,मेरा मन ही ना लागे ज़माने में,मेरा …
Read More »Tag Archives: shrikrishna
श्रीकृष्ण – चरित्र (Krishna – Character)
समदर्शिता भगवान श्रीकृष्ण समदर्शी थे, और उनकी समदर्शिता की सीमा में केवल मनुष्य – समाज ही आता हो, सो बात नहीं, पशु – पक्षी, लता – वृक्ष आदि सभी के लिए उसमें स्थान था । उन्होंने गौओं की सेवा कर पशुओं में भी भगवान का वास दिखलाया । कदंब आदि वृक्षों के तले वन में विहार कर, उभ्दिज्ज – जगत …
Read More »भक्त की भावना, पहुंचा सकती है परमधाम
एक गांव में एक पंडित जी रहते थे। किसी गांव में जाकर एक बार वो कथा सुना रहे थे। प्रसंग में श्रीकृष्ण जी के ऐश्वर्य जीवन और उनके विलक्षण आभूषणों का वर्णन का पाठ चल रहा था। वहां कई श्रोता पंडित जी की कथा सुन रहे थे। उनमें से एक डाकू भी था। जब पंडित जी घर जाने लगे तो …
Read More »जानिए अपनी शक्ति की सीमा
श्रीकृष्ण ने जब शिशुपाल का वध किया तो अर्जुन ने आश्चर्य से पूछा, ‘आपने शिशुपाल को सौ गालियां देने के बाद मारा, आप इस गलत व्यवहार करने वाले को पहले भी मार सकते थे। यह तो सदैव आपका अपमान करता आया था।’ श्रीकृष्ण, अर्जुन की बातों को गंभीरता से सुन रहे थे, उन्होंने कहा, ‘मैं तुम्हारा प्रश्न समझता हूं। आज …
Read More »राधा – भाव
राधा भाव में उपासक और उपास्य में प्रेमाधिक्य के कारण एकरूपता हो जाती है । यही कारण था कि भगवान श्रीकृष्ण राधा जी हो जाते थे और श्रीराधा श्रीकृष्ण बन जाती थीं ।इस प्रकार का परिवर्तन परम स्वाभाविक है । उदाहरणस्वरूप गर्गसंहिता का यह श्लोक है – श्रीकृष्ण कृष्णेति गिरा वदन्त्य: श्रीकृष्णपादाम्बूजलग्नमानसा: । श्रीकृष्णरूपास्तु बभूवुरंगना – श्र्चित्रं न पेशस्कृतमेत्य कीटवत् …
Read More »श्रीहरि भक्ति सुगम और सुखदायी है
भोजन करिअ तृपिति हित लागी । जिमि सो असन पचवै जठरागी ।। असि हरि भगति सुगम सुखदाई । को अस मूढ़ न जाहि सोहाई ।। भाव यह कि भगवद्भक्ति मुंह में कौर ग्रहण करने के समान ही सुगम है – ‘भोजन करिअ तृपिति हित लागी ।’ वैसे ही वह सुखदायी भी है – ‘जिमि सो असन पचवै जठरागी ।।’ जिस …
Read More »