बहुत समय पहले की बात है। दक्षिण भारत में विजय नगर नाम का एक साम्राज्य हुआ करता था और उस साम्राज्य की बागडोर राजा कृष्णदेव राय के हाथ में थी। एक दिन उनके राज्य में एक अरबी व्यापारी घोड़े बेचने आया। उसने राजा के सामने अपने घोड़ों की इतनी तारीफ की कि महाराज कृष्णदेव उसके सभी घोड़ों को खरीदने के …
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पैतृक धन
एक बार की बात है कृष्णदेव राजा के दरबार में एक व्यक्ति आया। उस व्यक्ति के हाथ में एक लोहे का बक्सा था। जिसमे ताला लगा हुआ था। वह राजा से बोला की इस बक्से में मेरे पूर्वजो की धन सम्पति है। आप इसको अपने पास रख लो जिससे की मै उत्तर भारत के सभी मंदिरों में दर्शन के लिए …
Read More »रसगुल्ले की जड़
मध्य पूर्वी देश से एक ईरानी शेख व्यापारी महाराज कृष्णदेव राय का अतिथि बन कर आता है। महाराज अपने अतिथि का सत्कार बड़े भव्य तरीके से करते हैं और उसके अच्छे खाने और रहने का प्रबंध करते हैं, और साथ ही कई अन्य सुविधाएं भी प्रदान करते हैं। एक दिन भोजन पर महाराज का रसोइया शेख व्यापारी के लिए रसगुल्ले …
Read More »स्वर्ग की खोज
महाराज कृष्णदेव राय अपने बचपन में सुनी कथा अनुसार यह विश्वास करते थे कि संसार-ब्रह्मांड की सबसे उत्तम और मनमोहक जगह स्वर्ग है। एक दिन अचानक महाराज को स्वर्ग देखने की इच्छा उत्पन्न होती है, इसलिए दरबार में उपस्थित मंत्रियों से पूछते हैं, ” बताइए स्वर्ग कहाँ है ?” सारे मंत्रीगण सिर खुजाते बैठे रहते हैं पर चतुर तेनालीराम महाराज कृष्णदेव राय को …
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