यह युद्ध कहां हो रहा था, ये नहीं पता लेकिन इसकी प्रेरक कहानी सदियों से दोहराई जा रही है। हुआ यूं कि युद्ध में तबाही का मंजर था। शत्रुदल के सेनापति को पकड़ लिया गया और उसे राजा के सामने पेश किया गया। सेनापति को देख राजा गुस्से से लाल हो गया। उसने युद्ध की अनुशासन नीति का पालन करते …
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