कमल लोचन कटि पीताम्बर, अधर मुरली गिरिधरम् मुकुट कुंडल कर लकुटिया, सांवरे राधे वरम् । कूल यमुना धेनु आगे, सकल गोपिन मन हरम् पीत वस्त्र गरुड़ वाहन,चरण नित सुख सागरम् ।। वंशीधर वसुदेव छलिया, बलि छल्यो हरि वामनम् डूबते गज राख लीन्हों, लंका छेड्यो रावणम् ।। दीनानाथ दयालु सिन्धु, करुणामय करुणाकरम् कविदत्त दास विलास निशदिन, नाम जप नित नागरम् ।। …
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इतना तो करना स्वामी
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से निकलेश्री गंगा जी का तट हो, यमुना का वंशीवट हो मेरा सांवरा निकट हो जब प्राण तन से निकले इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले पीताम्बरी कसी हो छवि मन में यह बसी हो होठों पे कुछ हसी हो जब प्राण …
Read More »सुनि कान्हा तेरी बांसुरी
सुनि कान्हा तेरी बांसुरी बांसुरी तेरी जादू भरी सारा गोकुल लगा झूमने क्या अजब मोहिनी छा गयी मुग्ध यमुना थिरकने लगी तान बंसी की तड़पा गयी मैं तो जैसे हुई बावरी सुनि कान्हा तेरी बांसुरी बांसुरी तेरी जादू भरी हौले से कोई धुन छेड के तेरी बंसी तो चुप हो गयी सात स्वर के भंवर में कहीं मेरे मन की …
Read More »किसकी हैं गंगा-यमुना ?
गांधी जी का सम्पूर्ण जीवन प्रेरणा का स्रोत है। आज के इस प्रसंग से भी हमें उनके ” सादा जीवन उच्च विचार” के दर्शन का पता चलता है। बात इलाहाबाद की है, उन दिनों वहां कांग्रेस का अधिवेषन चल रहा था । सुबह का समय था , गांधी जी ; नेहरू जी एवं अन्य स्वयं सेवकों के साथ बातें करते -करते हाथ -मुंह …
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