कोई सुबह ना हो ऐसी,कोई ऐसी शाम ना हो,होंठो पे श्याम मेरे,जब तेरा नाम ना हो,कोई सुबह ना हो ऐसी,कोई ऐसी शाम ना हो। उस रस्ते से मेरा,क्या वास्ता कन्हैयाँ,जिस रास्ते पे ना हो,तेरी कृपा की छैयां,क्यों जाउँ उस गली में,जहाँ तेरा धाम ना हो,कोई सुबह ना हो ऐसी,कोई ऐसी शाम ना हो….. मैं तेरी शरण में हूँ तो,क़ीमत है …
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