गजब की ग्वालिन लागे रेचले है जब मस्तानी चालमोहे जाने दे कान्हामोहे घर जाना है नन्द लाल……. ग्वालिन काहे को इतराएक्यों कान्हा पीछे पीछे आयेचले जब मोरनी बन के कमर में न लगे बिलकुल होलमोहे जाने दे कान्हामोहे घर जाना है नन्द लाल…… सुन ले ग्वालिन नखरे वालेछेड़ मत वरना दूंगी गालीप्रेम से बाते करने मिटा दे दिल से सभी …
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