गोकुल से आयो राधे तेरी नगरी में,मारु पिचकारी आज तेरी चुनरी में,वेलकम है कान्हा तेरो मेरी नगरी में,घोल रंग बैठी मैं तो तोकु गगरी में….. मेरी तेरी आज खिलेगी बड़े प्रेम से होली,अटारी पे क्यों ठाड़ी निचे आजा तू किशोरी,रंग बिरंगी करके जाऊँ सखियाँ सगरी,मारु पिचकारी आज तेरी चुनरी में… थोड़ी सी बजाय दे प्यारी बांसुरियां,बरसाने में रंग बरसेगा तेरो …
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