बात देहरादून की है। जब महात्मा गांधी हरिजन कोष के लिए धन एकत्रित करने के लिए एक सभा में पहुंचे। सभा का आयोजन महिलाओं ने किया था। उन्होंने दो हजार रुपये के थैली भी गांधीजी को भेंट स्वरूप दी। किसी ने आभूषण तो किसी ने कुछ और धन हरिजन कोष के लिए दिया।
चारों तरफ शोर था। उस शोर में बस एक आवाज अलग सुनाई दे रही थी, तो वो थी गांधीजी की। तभी गांधी जी की नजर एक महिला पर गई, जो हाथ में इक्न्नी (इक्न्नी यानी एक पैसा यह मुद्रा दशकों पहले चलती थी) थी।
गांधी जी के पास वह पहुंची। तब बापू ने कहा, ‘क्या तुम पैर भी स्पर्श करोगी?’ उसने सहमति जताई। तब गांधी जी ने कहा, ‘में इसके लिए एक और इकन्नी लूंगा।’ उस महिला ने कहा, ‘क्या आप पैर छूने के भी पैसे लेते हो।’ गांधीजी ने हंसते हुए कहा, ‘हां’ लेकिन ये सारा पैसे हरिजन कोष में जाकर देशहित में उपयोग किया जाएगा।
संक्षेप में
आजादी के समय सभी धर्मों में सहिष्णुता की भावना थी। जो वर्तमान में बहुत कम देखने को मिलती है। यही कारण था कि गांधीजी और उस समय के महापुरुष देश को एकजुट कर पाए और हरिजन कोष जैसे देशहित के कार्यों को प्रगति दी।
Hindi to English
Things are from Dehradun. When Mahatma Gandhi reached a gathering to collect funds for the Harijan fund. The women had organized the meeting. They gave two thousand rupees of rupees to Gandhiji as a gift. Someone gave jewelery to someone else for the Harijan fund.
There was noise around. Just one voice was heard in that noise, then it was Gandhiji’s At that time Gandhiji’s eyes went to a woman, who had a hand in the hand of Iconi (Iconi i.e., a penny that ran decades ago).
He reached Gandhiji. Then Bapu said, ‘Will you touch the feet too?’ He agreed. Then Gandhiji said, ‘I will take another person for this.’ The woman said, ‘Do you even take money to touch your feet?’ Gandhiji laughed, ‘Yes’ but all this money will be used in the country after going to Harijan fund.
in short
At the time of freedom, there was a sense of tolerance in all religions. Which can be seen very little in the present. This was the reason that Gandhiji and the great men of that time were able to unite the country and made progress in the country’s work like Harijan Kosh.