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ससुराल: प्यार और समर्पण की कहानी

दिखने में साधारण मगर बेहद आकर्षक सा व्यक्तित्व था उसका। रूप रंग गोरा, बहुत साधारण सी ही तो रहती थी। घर के सारे कार्यों में दक्ष होने के साथ पढ़ती भी थी और ट्यूशन भी पढ़ाती थी। आस पास की औरते यही सोचा करती की जिस घर जायेगी सास सर पर बैठा कर रखेगी। मगर कहते है ना जिस के पास जो न हो उसी की ज्यादा कदर करता है इंसान।

नए नए आए थे कॉलोनी में। ज्यादा बोलचाल नही थी उनकी। क्योंकि घर में जो बड़ी महिला थी वो अक्सर बीमारी की वजह से घर से कम ही बाहर निकलती थी। और पुरुष किसी सरकारी महकमे में अच्छे पद पर आसीन थे। कुलमिला कर कहो तो कॉलोनी की औरतों में चर्चा का विषय बने हुए थे। अहंकारी भी नही थे मगर ज्यादा सामाजिक भी नही। उनके घर की थाह लेने की खातिर हमारी कॉलोनी की जासूस टीम ने अपनी ही टीम की एक महिला की सुपुत्री परी का उस घर में ट्यूशन लगवा दिया।

धीरे धीरे कनफूसियों से पता चला की उस साधारण सी दिखने वाली लड़की का नाम रिया है और वो अपने समय की टॉपर थी। और आज भी अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखे हुए थी। कहते है ना जो समाज से जितना बचते है, समाज उतने ही आपसे जुड़ता है। ऐसा ही कुछ उनके साथ था। कॉलोनी की महिला मंडल का मेरी मम्मी के साथ भी उठना बैठना था। मुझे धीरे धीरे एक झुकाव सा महसूस होने लगा था रिया से, वो तो निगाह भर के देखती भी नही थी। मगर मुझे वो बहुत अच्छी लगती थी। उसके बाहर आने जाने का समय ध्यान रख या तो मैं बाहर पौधों में पानी देने, कभी बाइक तो कभी कार धोने के बहाने या और कुछ न सही तो छत पर जा खड़ा हो जाता था।

मगर उसने न देखना होता था और न ही देखती थी। मगर मुझे तो बस वो अच्छी लगती थी। बहुत ही साधारण कपड़े , पूरी चुन्नी लहरा कर लेना कभी कभी किसी को देख कर मुस्कुराहट देती , वो मेरे तो रोम रोम में बस सी गई थी। जब भी कोई महिला मंडली कि सदस्य आती तो मैं कान लगा कर यह जानने की कोशिश करता कि जरूर आज कुछ नया जानने को मिलेगा रिया के बारे में या उसके परिवार के बारे में । एक दिन मैंने घर आई शर्मा आंटी को यह कहते हुए सुना कि पता नहीं अरोड़ा परिवार को किस बात का घमंड है इतने रिश्ते लेकर जाती हूं , मगर लगता है जैसे उसकी शादी ही नहीं करना चाहते । बहुत कोशिश करी एक से एक अच्छा रिश्ता बताया मगर वह तो बात आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं ।

मुझे तो ऐसा लगता है लड़की की कमाई खाने की आदत पड़ गई है ।भगवान का दिया सब कुछ तो है पिता सरकारी नौकरी में है ,मगर सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को हाथ से नहीं जाने देना चाहते। अरे आगे पीछे तो कोई भी नहीं है एक लड़की है , किसके लिए करेंगे इतना । मैंने तो मिसेज अरोड़ा से इतना कहा कि अब रिया की उम्र हो चली है शादी की । बात आगे नहीं चलाती मगर, वह है कोई भी बात का सही जवाब ही नहीं बताती । मेरी मम्मी ने कहा भी हो सकता है कि अभी वह अपनी लड़की को अपने पास रखना चाहते हो ,आखिर उनका उसके सिवा है ही कौन। मगर शर्मा आंटी बोली कि मुझे तो दाल में कुछ काला नजर आता है । हो सकता है कहीं रिया में ही कोई नुक्स है , जिसे यह लोग सब से छुपा रहे हैं ,तभी उसकी शादी की बात आगे नहीं चलाते।

इधर रिया मेरे दिमाग पर हावी होती जा रही थी मगर मैं भी इतनी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था कि उससे अपने प्यार का इजहार कर सकूं । मैं कहीं ना कहीं उसकी भावनाओं को आहत नहीं करना चाहता था । 1 दिन मौका देख कर मैंने अपनी मम्मी को सब सच बता दिया और रिया से ही शादी करने की इच्छा जाहिर की । रिया एक अच्छी लड़की थी, कोई कमी भी नहीं थी । मम्मी भी उसको पसंद करती थी, तो उन्हें मनाने में मुझे कोई खासी परेशानी नहीं हुई । मेरे माता पिता जात पात बिरादरी ऐसी बातों में नहीं विश्वास करते हैं । मम्मी ने उचित समय देखकर पापा से मेरे दिल की बात बता दी आपसी सहमति से एक दिन मेरी मम्मी ने जाकर रिया के घर हमारी शादी का प्रस्ताव रखा ।

मैं पूरी उत्सुकता के साथ मम्मी के आने का इंतजार कर रहा था ।दिल में अजीब सी धड़कने मेरी कशमकश को और बढ़ा रही थी ।दिमाग में ना जाने क्यों रह रह कर शर्मा आंटी की बातें आ रही थी , की अरोड़ा तो अपनी बेटी की शादी हीं नहीं करना चाहते हैं । डोर बेल बजी तो मैं दरवाजा खोलने भागा । मम्मी को पानी दिया ,मम्मी के चेहरे पर मिश्रित से भाव थे । पहचानना मुश्किल था, की बात बनी या नहीं । मम्मी ने भी मुझे कुछ नहीं बताया और पापा के आने पर तक सब्र करने के लिए कहा । मैं जानता हूं की शाम तक का वह समय मुझे कितना भारी महसूस हो रहा था ।

पापा के आने पर जो मम्मी ने बताया मैं तो समझ ही नहीं पाया क्या करू। जैसे ही मम्मी ने बताया कि रिया शादीशुदा है मैं तो एक पल के लिए हिल गया, क्योंकि रिया को देखकर कभी लगा ही नहीं रिया विवाहित है ।इसके बाद जो मम्मी ने बताया वो कुछ यूं था , कि रिया अरोड़ा जी की बेटी नहीं बहू है। वह बहू जिसके कभी उनके पुत्र से फेरे नहीं हुए ।कोई शादी नहीं हुई। वह तो बस बिना नाम के रिश्ते को निभा रही है। उनके बताए अनुसार कहानी कुछ इस प्रकार है कि रिया और अरुण (अरोड़ा जी का बेटा) साथ ही स्कूल में पढ़ते थे ,कॉलेज भी साथ किया । इधर अरुण और रिया अपनी जिंदगी को साथ बिताने का फैसला ले चुके थे और घरवालों की आपसी रजामंदी से दोनों की सगाई भी हो चुकी थी। मगर शादी से पहले अरुण ने अपने मित्रों के साथ ऋषिकेश घूमने का प्रोग्राम बनाया और वही एक दुर्घटना का शिकार हो गया ।4 दिन बाद अरुण का शव बरामद हुआ।

एकलौता पुत्र यू गवा देने से मिसेज अरोड़ा तो सकते में आ गई और उनके आधे शरीर पर लकवा मार गया ।पुत्र को जवानी में खोने और बीवी की ऐसी हालत देखकर मिस्टर अरोड़ा भी अपनी सुध बुध खो बैठे थे ।ऐसे में रिया ने आगे आकर अरुण के माता-पिता को संभाला ।यह रिया की मेहनत का ही नतीजा था कि धीरे-धीरे मिसेज अरोड़ा वापस अपनी पहली अवस्था में आ पाई और मिस्टर और मिसेज अरोड़ा अपने दुख से उबर पाए। रिया है जोकि वरुण के साथ हुई अपनी सगाई को ही अपना सबकुछ मान बैठी है ।उसके लिए अरुण के माता-पिता, अब उसके माता-पिता हैं ।वह अपना परिवार छोड़ अब उन्हीं के साथ रहती है ।उन्होंने बहुत कोशिश करी ,कि रिया अपनी जिंदगी में आगे बढ़ जाए ,मगर रिया है जो टस से मस नहीं होती। लाख कोशिशों के बावजूद अब उन्होंने भी रिया के फैसले को दिल से अपना लिया है ।पुराना शहर पुरानी गलियां सब छोड़ वह नए शहर में आकर बस गए, बस यही सच है जो सारी महिला मंडल जानना चाहती थी ।मगर रिया नहीं चाहती थी कि वह किसी की भी कृपा का पात्र बने।

उस शाम मेरी भी आंखें नम थी, अभी तक जिस रिया को मैं बहुत प्यार करता था ,पता नहीं क्यों अचानक से एक बहुत सम्मान बाली भावना दिल में आ गई थी । मैंने भी यह सोच कर अपने दिल को मना लिया कि मैं कभी रिया से अपने प्यार का इजहार नहीं करूंगा ,क्योंकि कहीं ना कहीं प्यार का नाम पाना नहीं होता। अब रोज रिया उसी तरीके से अपने समय पर निकलती है। मैं रोज किसी ना किसी बहाने से उसे ऐसे ही देखता हूं ।थोड़ा तकलीफ देह है ,मगर सोचता हूं शायद भगवान कभी मुझ पर मेहरबान हो और उसे मेरी किस्मत में लिख दे।

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