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बशीर बद्र

डॉ॰ बशीर बद्र इनका पुरा नाम सैयद मुहम्मद बशीर जन्म (15 फ़रवरी 1935) को उर्दू का वह शायर माना जाता है जिसने कामयाबी की बुलन्दियों को फतेह कर बहुत लम्बी दूरी तक लोगों की दिलों की धड़कनों को अपनी शायरी में उतारा है। साहित्य और नाटक विद्यापीठ में किए गये योगदानो के लिए उन्हें 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। भोपाल से ताल्लुकात रखने वाले बशीर बद्र का जन्म कानपुर में हुआ था। आज के मशहूर शायर और गीतकार नुसरत बद्र इनके सुपुत्र हैं। 
डॉ॰ बशीर बद्र 56 साल से हिन्दी और उर्दू में देश के सबसे मशहूर शायर हैं। दुनिया के दो दर्जन से ज्यादा मुल्कों में मुशायरे में शिरकत कर चुके हैं। बशीर बद्र आम आदमी के शायर हैं। ज़िंदगी की आम बातों को बेहद ख़ूबसूरती और सलीके से अपनी ग़ज़लों में कह जाना बशीर बद्र साहब की ख़ासियत है। उन्होंने उर्दू ग़ज़ल को एक नया लहजा दिया। यही वजह है कि उन्होंने श्रोता और पाठकों के दिलों में अपनी ख़ास जगह बनाई है।
बशीर बद्र उर्दू की मक़बूल हस्तियों में से एक हैं जिन्होंने शेर-ओ-शायरी को नया मुकाम दिया, पेश हैं उनकी कलम से निकले ये चंद अशआर:-

"कहां आंसुओं की ये सौग़ात होगी नए लोग होंगे नई बात होगी मैं हर हाल में मुस्कुराता रहूंगा, तुम्हारी मोहब्बत अगर साथ होगी, चराग़ों को आंखों में महफ़ूज़ रखना बड़ी दूर तक रात ही रात होगी, परेशां हो तुम भी परेशां हूं मैं भी चलो मय-कदे में वहीं बात होगी, चराग़ों की लौ से सितारों की ज़ौ तक तुम्हें मैं मिलूंगा जहां रात होगी, जहां वादियों में नए फूल आए हमारी तुम्हारी मुलाक़ात होगी सदाओं को अल्फ़ाज़ मिलने न पाएं न बादल घिरेंगे न बरसात होगी, मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी!"

"अभी राह में कई मोड़ हैं, कोई आएगा कोई जाएगा
तुम्हें जिस ने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया
जिस को गले लगा लिया वो दूर हो गया!"

"अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना
हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है, अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा!"

बशीर भद्र कौन है?
बशीर बद्र (जन्म: सैयद मुहम्मद बशीर; 15 फरवरी 1935) एक भारतीय कवि हैं। वे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उर्दू पढ़ाते थे। वे मुख्य रूप से उर्दू भाषा में लिखते हैं, खासकर ग़ज़लों में। उन्होंने 1972 में शिमला समझौते के दौरान दुश्मनी जाम कर करो नामक एक दोहा भी लिखा था जो भारत के विभाजन के इर्द-गिर्द घूमता है।

बशीर बद्र अभी कहां है?
बता दें कि बशीर बद्र का जन्म 15 फरवरी 1936 को फैजाबाद में हुआ था। उनकी गिनती देश के शीर्ष उर्दू शायरों में होती है। फैजाबाद से मेरठ और मेरठ जाने के बाद अब वह पुराने शहर भोपाल (शहीद गेट के पास) के निवासी हैं, जहां वह अपनी पत्नी और बेटे तैयब बद्र के साथ रहते है।





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