एक बार भगवान बुद्ध पाटलिपुत्र में प्रवचन कर रहे थे। लोग मंत्रमुग्ध थे। प्रवचन के पहले बुद्ध ध्यानवस्था में बैठे हुए थे। तभी स्वामी आनंद ने जिज्ञासा पूर्वक पूछा, ‘तथागत आपके सामने बैठे लोगों में सबसे ज्यादा सुखी कौन?’
तथागत बोले, सबसे पीछे जो सीधा-साधा सा फटेहाल ग्रामीण आंखे बंद किए बैठा है, वह सबसे ज्यादा सुखी है। यह सुनकर सभी को आश्चर्य है। बुद्ध ने कहा, चलो मेरे पीछे-पीछे। मैं तुम्हें इसका प्रमाण देता हूं। वगह एक-एक करके सबसे पास पहुंचे। सभी से पूछा, तुम्हें क्या चाहिए? किसी ने कहा, मुझे पत्र चाहिए। तो किसी ने कहा, मुझे धन चाहिए। किसी ने यहां तक कहा कि मुझे शांति चाहिए।
तब उन्होंने सबसे पीछे बैठे हुए व्यक्ति से पूछा, तुम्हें क्या चाहिए। तब उसने बुद्ध से कहा, तथागत मुझे कुछ नहीं चाहिए। आप बस अपना आशीर्वाद दीजिए। ताकि जो भी मेरे पास है। उसी में संतोष पूर्वक रह सकूं।
आनंद को उत्तर मिल चुका था और सभी तथागत की जयकार कर रहे थे।
Hindi to English
Once Lord Buddha was preaching in Pataliputra. People were charmed. Before the discourse Buddha was sitting in meditation. Swami Anand asked curiously, ‘Who is the happiest among those people sitting in front of you?’
Tathagat says, the most striking, low-cut, gray-eyed rural eyes are closed, it is the happiest. Everyone is surprised to hear it. Buddha said, “Come on behind me” I give you proof of this. The classes reached the nearest one by one. Everyone asked, what do you want? Someone said, I need a letter, I need a letter. So someone said, I want money. Someone even told me that I need peace.
Then he asked the person sitting at the back, what do you want Then he said to Buddha, Tathagat I do not want anything. Just give your blessings. So that which I have. I can live comfortably in the same.
Anand had got the answer and was cheering all the Tathagat