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Daily Archives: July 12, 2017

विंस्टन चर्चिल की कामयाबी का ये था अचूक फार्मूला

विंस्टन चर्चिल की कामयाबी का ये था अचूक फार्मूला

विंस्‍टन चर्चिल, अंग्रेज राजनीतिज्ञ थे। वे द्वितीय विश्वयुद्ध, 1940-1945 के समय इंग्लैंड के प्रधानमंत्री थे। राजनीतिज्ञ के रूप में उन्होंने कई पदों पर कार्य किया। विश्वयुद्ध से पहले वे गृहमंत्रालय में व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष रहे। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वे लॉर्ड ऑफ एडमिरिल्टी बने रहे। युद्ध के बाद उन्हें शस्त्र भंडार का मंत्री बनाया गया। 10 मई 1940 …

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जब नारद जी ने पूछा, और श्रीहरि ने बताया, ‘कर्म बड़ा या भाग्य!’

जब नारद जी ने पूछा, और श्रीहरि ने बताया, 'कर्म बड़ा या भाग्य!'

इस दुनिया में कर्म को मानने वाले लोग कहते हैं भाग्य कुछ नहीं होता। और भाग्यवादी लोग कहते हैं किस्मत में जो कुछ लिखा होगा वही होके रहेगा। यानी इंसान कर्म और भाग्य इन दो बिंदुओं की धूरी पर घूमता रहता है। और एक दिन इस जग को अलविदा कहकर चला जाता है। भाग्य और कर्म को बेहतर से समझने …

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महात्मा गांधी जब साइकिल से पहुंचे सभास्थल

महात्मा गांधी जब साइकिल से पहुंचे सभास्थल

महात्मा गांधी समय के बड़े पाबंद थे। एक बार उन्हें एक सभा में भाषण देने का निमंत्रण मिला। निमंत्रण देने वाले सज्जन ने ठीक साढ़े तीन बजे गांधी जी को लेने के लिए आने का वादा किया। अगले दिन अपनी आदत के अनुसार गांधी जी ठीक साढ़े तीन बजे तैयार हो गए, पर कोई उन्हें लेने के लिए नहीं आया। …

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ईश्वर से मिलना चाहते हैं, तो जल्द त्यागें मन से यह भाव

ईश्वर से मिलना चाहते हैं, तो जल्द त्यागें मन से यह भाव

एक बार धार्मिक यात्रा पर गुरु नानक देव जी बनारस गए। उन्होंने गेरुए रंग के वस्त्र, पांव में जूती, सिर पर टोपी, गले में माला और केसर का तिलक लगाए हुए थे। लोगों ने सोचा दूर देश से कोई महात्मा आए हैं। इसलिए काफी लोग उनके आस-पास एकत्र हो गए। तब वह लोग एक पंडित को बुला लाए। काशी के …

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जब गुरु नानक ने दी अनमोल सीख जिसे धनवान ताउम्र भूल न सका

जब गुरु नानक ने दी अनमोल सीख जिसे धनवान ताउम्र भूल न सका

एक बार गुरु नानक यात्रा करते हुए थक गए। वे एक गरीब दलित बढ़ई के घर में विश्राम के लिए रुके। उन्हें उसका व्यवहार पसंद आया और वे दो हफ्तों के लिए उसके घर में ठहर गए। यह देखकर गांव के लोग कहने लगे कि नानक ऊंची जाति के हैं, उन्हें नीची जाति के व्यक्ति के साथ नहीं रहना चाहिए। …

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ऐसा करेंगे तो असंभव केवल एक शब्द रह जाएगा

ऐसा करेंगे तो असंभव केवल एक शब्द रह जाएगा

ब्रिटेन में एक डॉक्टर थे ‘रॉजर बैनिस्टर’। उन्हें जब भी समय मिलता, तब वह दौड़ने का अभ्यास करने में जुट जाते। दिलचस्प बात यह थी कि उन दिनों तक कोई भी तेज धावक एक मील की दौड़ चार मिनट से कम में पूरी नहीं कर पाया था। यह बात जब रॉजर ने अपने दोस्त से सुनी तो उन्होंने कहा, लेकिन …

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धर्म के आगे कुछ नहीं

धर्म के आगे कुछ नहीं

गांधीजी के पुत्र मणिलाल एक बार बचपन में बहुत बीमार हो गए। डॉक्टर को बुलाया गया। डॉक्टर ने जांच के बाद कहा, बच्चे को मीट का शोरबा देना पड़ेगा। बापू शाकाहारी थे। इसीलिए उन्होंने डॉक्टर से निवेदन किया कि वह बच्चे को शोरबे के बदले कोई और खाद्य बताएं। डॉक्टर ने इस पर झुंझलाती हुए कहा, बापू, आपके बच्चे की …

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अगर सफल इंसान बनना है तो साथ रखो इंसानियत

अगर सफल इंसान बनना है तो साथ रखो इंसानियत

कहते हैं महापुरषों का बचपन असामान्य रहता है। ऐसा ही कुछ पं. मदन मोहन मालवीय जी का भी था। एक बार प्रयाग में चौक के पास एक गली में बीमार श्वान (कुत्ता) पड़ा था। चोट लगने से उसे घाव हो गया था। वह छटपटा रहा था, चिल्ला रहा था। पर तमाशबीन बने लोग उसे देख रहे थे। बारह वर्षीय मदन …

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जब पीरों को बताया, ‘संत कौन होते हैं?’

  एक बार सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी मुलतान की यात्रा पर गए। जब मुलतान पहुंचे तो पीरों के बाबा ने दूध से भरा कटोरा भेजा। यह एक तरह का संदेश था कि मुलतान में बहुत से पीर हैं। वह यहां नहीं रहें। लेकिन बदले में गुरु नानक जी ने उनको बगली का फूल भिजवाया। इसका अर्थ …

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रामनाम और महात्मा गांधी

राजस्थान के लक्ष्मणगढ़ निवासी बालूराम अढ़तिया रामनाम के आढ़ती के नाम से विख्यात थे। वे अपने साथ एक बही रखते और किसी भी प्रमुख व्यक्ति के पास पहुंचकर उनसे प्रार्थना करते कि आप इस बही में अपने हाथ से लिखें कि भगवान के इतने हजार नामों का जप प्रतिदिन किया करेंगे। एक बार गांधीजी मुंबई आए हुए थे। आढ़तिया भाई …

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