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Monthly Archives: July 2017

जानिए चीनी दार्शनिक ताओ बू की नजर में क्या है धर्म

ताओ बू चीन के एक महान दार्शनिक हुए हैं। एक बार चुंगसिन नाम के व्यक्ति उनसे धर्म का रहस्य समझने के लिए आया और उनका शिष्य बन गया। लेकिन कई साल बीत गए। उन्होंने उसे कोई शिक्षा नहीं दी। तब एक दिन निराशा के भाव लेकर उसने कहा, ‘गुरुवर आपने किस कारण से अब तक कोई शिक्षा नहीं दी।’ तब …

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निरर्थक चर्चा में खर्च न करें समय

मैं जो कल था, वह आज नहीं

भगवान बुद्ध, अनमोल समय के सदुपयोग के पक्षधर थे। निकम्मी बातों में समय गंवाने का सदा विरोध किया करते थे। कोई आदमी उनके पास आया और बोला, भगवन् आप बार-बार दुख और विमुक्ति पर ही बोलते हैं। कृप्या यह तो बताइए यह दुख होता किसको है? और दुखों से विमुक्ति होती किसको है? प्रश्न करने वाले का प्रश्न निरर्थक था। …

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अपमान के बदले सम्मान कभी हासिल नहीं किया जा सकता

  बात पुरानी है पर है लाजबाव, यूरोप संभ्रांत शहर में एक व्यक्ति रहता था, जो अक्सर धर्मग्रंथों का मजाक उड़ाया करता था। वह नास्तिक था पर वह ईश्वर में विश्वास करने वालों का सम्मान कतई नहीं करता था। वह उनसे वैचारिक बहस न करके, कुतर्कों के जरिए उनका मनोबल तोड़ने की कोशिश करता था। एक दिन वह एक पादरी …

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मन की शांति के लिए सबसे सरल युक्ति

एक सेठ के पास अपार धन-संपत्ति थी, किंतु फिर भी उसके मन को शांति न थी। एक दिन किसी व्यक्ति ने बताया कि अमुक नगर में एक साधु रहता है। वह लोगों को ऐसी सिद्धि देता है, जिससे मनचाही वस्तु प्राप्त हो जाती है। सेठ उस साधु के पास के पास जाकर बोला, ‘महाराज मेरे पास बहुत पैसा है, लेकिन …

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ताकि मैं उन दिनों को न भूल जाऊं

ताकि मैं उन दिनों को न भूल जाऊं

हेनरी फोर्ड संसार के अग्रणी उद्योगपति थे। उन्होंने अमेरिका में फोर्ड मोटर कंपनी की स्थापना की। उनके नाम पर बनाई गई फोर्ड मोटर ने हर जगह नाम कमाया। एक भारतीय उद्योगपति ने मोटर का कारखाना लगाने से पहले हेनरी फोर्ड से भेंट करने निश्चय किया।अमेरिका पहुंचकर उसने हेनरी फोर्ड को फोन किया और मिलने की इच्छा व्यक्त की। फोर्ड ने …

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जब गौतम बुद्ध ने बताया, कौन है सबसे सुखी

जब गौतम बुद्ध ने बताया, कौन है सबसे सुखी

एक बार भगवान बुद्ध पाटलिपुत्र में प्रवचन कर रहे थे। लोग मंत्रमुग्ध थे। प्रवचन के पहले बुद्ध ध्यानवस्था में बैठे हुए थे। तभी स्वामी आनंद ने जिज्ञासा पूर्वक पूछा, ‘तथागत आपके सामने बैठे लोगों में सबसे ज्यादा सुखी कौन?’ तथागत बोले, सबसे पीछे जो सीधा-साधा सा फटेहाल ग्रामीण आंखे बंद किए बैठा है, वह सबसे ज्यादा सुखी है। यह सुनकर …

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इसीलिए कहते हैं जियो दिल से

एक बार गुरु गोविंद साहब के कुछ शिष्य उनके पास उनके पास आए और उनसे उलाहना के स्वर में बोले, ‘गुरू जी! आपके कहने पर हम हर रोज जप करते हैं, लेकिन इससे हमें कोई लाभ नहीं होता है। इसका क्या कारण है?’ गुरु जी युवा शिष्यों की बात सुन कर कुछ कहा नहीं, ‘सिर्फ मुस्कुराए।’ कुछ देर बाद उन्होंने …

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वो पाव भर चाय की पत्ती

वो पाव भर चाय की पत्ती

अब्राहिम लिंकन बचपन में चाय की दुकान पर नौकरी करते थे। एक दिन एक महिला पाव भर चाय की पत्‍ती लेने के लिए आई। जल्दी-जल्दी में लिंकन ने उसे एक पाव की जगह आधा पाव चाय पत्‍ती तौल कर दे दी। रात्रि को जब लिंकन ने हिसाब किया, तो पता चला कि उस महिला ने पाव भर चाय के पैसे …

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मनुष्य कर्म से बनता है महान

स्वामी दयानंद का घर तब फर्रुखाबाद में था। एक दिन एक व्यक्ति एक थाली में दाल-भात परोसकर ले आया। वह व्यक्ति घर-गृहस्थीवाला था और मेहनत मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पेट भरता था। उच्च कुल का नहीं होने के बावजूद स्वामीजी ने जब उसके हाथ का अन्न ग्रहण किया, तो ब्राह्मणों को बुरा लगा। नाराज होकर वे स्वामी …

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उज्जैन नगर का, ‘मैं अकेला भिक्षुक’

उज्जैन नगर का, 'मैं अकेला भिक्षुक'

उज्जैन के राजकुमार शातवाहन की बुरी संगति को छुड़ाने के लिए आश्रम में उनके गुरु शिवदास ने उन्हें बहुत पीटा। शिवदास अपने प्रयास में सफल रहे और शातवाहन ने कुसंगति छोड़ दी। कुछ समय बाद जब शातवाहन राजा बने तब तक गुरु शिवदास की स्थिति अत्यंत दयनीय हो चुकी थी। एक दिन वे भिक्षा मांगते हुए राजा के पास जा …

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