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vikkykyt@yahoo.com

जो घट अंतर हरि सुमिरे

जो घट अंतर हरि सुमिरै . ताको काल रूठि का करिहै जे चित चरन धरे .. हरि सुमिरे राम सिया राम जय जय राम सिया राम सहस बरस गज युद्ध करत भयै छिन एक ध्यान धरै . चक्र धरै वैकुण्ठ से धायै बाकी पैंज सरे  .. हरि सुमिरे राम सिया राम जय जय राम सिया राम जहँ जहँ दुसह कष्ट भगतन …

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हरि तुम हरो जन की भीर

मीरा, जिन्हें मीराबाई के नाम से भी जाना जाता है, 16 वीं सदी के हिंदू रहस्यवादी कवि और कृष्ण की भक्त थीं। उन्हें मूल रूप से ‘मिहिरा’ नाम दिया गया था, लेकिन अपनी कविता में उन्होंने अपना नाम परिवर्तित रूप में मीरा के कारण राजस्थानी लहजे में पेश किया और इसलिए मीरा के रूप में अधिक लोकप्रिय हो गईं। हरि …

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नाम जपन क्यों छोड़ दिया

नाम जपन क्यों छोड़ दिया क्रोध न छोड़ा झूठ न छोड़ा सत्य बचन क्यों छोड दिया झूठे जग में दिल ललचा कर असल वतन क्यों छोड दिया कौड़ी को तो खूब सम्भाला लाल रतन क्यों छोड दिया जिन सुमिरन से अति सुख पावे तिन सुमिरन क्यों छोड़ दिया खालस इक भगवान भरोसे तन मन धन क्यों ना छोड़ दिया नाम …

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गुरुजी मैं तो एक निरंजन ध्याऊँ

गुरुजी, गुरुजी , गुरुजी , गुरुजी …. गुरुजी मैं तो एक निरंजन ध्याऊँ जी। दूजे के संग नहीं जाऊँ जी।। दुःख ना जानूँ जी मैं दर्द ना जानूँ  जी मैं । ना कोई वैद्य बुलाऊँ जी।। सदगुरु वैद्य मिले अविनाशी। वाको ही नाड़ी बताऊँ जी।। दूजे के संग नहीं जाऊँ जी।। गंगा न जाऊँ जी मैं जमना न जाऊँ जी मैं। ना कोई तीरथ …

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हरि तुम हरो जन की भीर

Hari Name Ka Pyala Bhajan

हरि तुम हरो जन की भीर, द्रोपदी की लाज राखी, तुम बढ़ायो चीर॥ भगत कारण रूप नरहरि धर्‌यो आप सरीर ॥ हिरण्यकश्यप मारि लीन्हो धर्‌यो नाहिन धीर॥ बूड़तो गजराज राख्यो कियौ बाहर नीर॥ दासी मीरा लाल गिरधर चरणकंवल सीर॥ मीरा बाई पद का हिंदी  अनुवाद : परम श्री कृष्ण भक्त मीरा बाई इश्वर से विनती करती हैं की हे इश्वर …

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हरि नाम सुमिर सुख धाम

mira-krishan

हरि नाम सुमिर हरि नाम सुमिरहरि नाम सुमिर सुख धामजगत में जीवन दो दिन का .जगत में जीवन दो दिन का .. सुंदर काया देख लुभायालाड़ करे तन का .छूटा साँस विगत भयी देहीज्यों माला मनका ..जगत में जीवन दो दिन का .. पाप कपट कर माया जोड़ीगर्व करे धन का .सभी छोड़ कर चला मुसाफिरवास हुआ वन का ..जगत …

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रे मन हरि सुमिरन कर लीजै

मंगल भवन अमंगल हारीद्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी रे मन, हरि सुमिरन कर लीजै ।हरि सुमिरन कर लीजै ।हरि सुमिरन कर लीजै । हरिको नाम प्रेमसों जपिये, हरिरस रसना पीजै ।हरिगुन गाइय, सुनिय निरंतर, हरि-चरननि चित दीजै ॥ हरि-भगतनकी सरन ग्रहन करि, हरिसँग प्रीति करीजै ।हरि-सम हरि जन समुझि मनहिं मन तिनकौ सेवन कीजै ॥ हरि केहि बिधिसों हमसों रीझै, …

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हनुमान चालिसा

हनुमान चालिसा आरति कीजै हनुमान लला की आरति कीजै हनुमान लला की . दुष्ट दलन रघुनाथ कला की .. जाके बल से गिरिवर काँपे रोग दोष जाके निकट न झाँके . अंजनि पुत्र महा बलदायी संतन के प्रभु सदा सहायी .. आरति कीजै हनुमान लला की . दे बीड़ा रघुनाथ पठाये लंका जाय सिया सुधि लाये . लंका सौ कोटि …

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सुन्दरकाण्ड पाठ – प्रारम्भ

कथा प्रारम्भ होत है, सुनहु वीर हनुमान | राम लक्षमण जानकी, करहुँ सदा कल्याण ॥ श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥ बुद्धिहीन तनु जानिके,सुमिरो पवन कुमार | बल बुद्धि विद्या देहूं मोहि,हरहु कलेश विकार || श्री गणेशाय नमः श्रीजानकीवल्लभो विजयते श्रीरामचरितमानस पञ्चम सोपान सुन्दरकाण्ड श्लोक शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं …

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जय जय बजरंगी महावीर

जय जय बजरंगी महावीर तुमबिन को जन की हरे पीर अतुलित  बलशाली तव काया , गति पिता पवन का अपनाया शंकर से देवी गुन पाया  शिव पवन पूत हे धीर वीर जय जय बजरंगी  महावीर —– दुखभंजन सब दुःख हरते हो , आरत की सेवा करते हो , पलभर बिलम्ब ना करते हो जब भी भगतन पर पड़े भीर जय …

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