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वो मनहूस लड़की
एक अद्भुत और प्रेरणादायक कहानी, जिसमें एक साहसी और प्रतिभाशाली युवती का सफर है जो अपने रूप और सौंदर्य के लिए समाज की निराशा का सामना करती है, लेकिन उसने सभी संघर्षों को पार किया।
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एक अद्भुत और प्रेरणादायक कहानी, जिसमें एक साहसी और प्रतिभाशाली युवती का सफर है जो अपने रूप और सौंदर्य के लिए समाज की निराशा का सामना करती है, लेकिन उसने सभी संघर्षों को पार किया।
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आज भी हमारे देश के कई हिस्सों मे बाल विवाह का जोर सोर से प्रचलन है। कोख मे बेटी हत्या बहू हत्या दहेज प्रचलन जोर शोर से है । मगर इस खास मुद्दों पर कोई आवाज नहीं उठाता मगर आरक्षण के सबको चाहिए।
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एक बार में ट्रैन से सफर कर रहे थे मुझे टॉयलेट जाना था तो में गया भी, ज़ब में टॉयलेट के अंदर गए तो मुझे वहाँ कुछ नम्बर लिखें हुए मिला मैंने..
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तीनो लोको के स्वामी सुधबुद्ध खोकर दौड़े चले जा रहे थे, पीछे पीछे रुक्मिणी, जाम्बवती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा, सत्या, लक्ष्मणा और भद्रा भी पागल सी दौड़ रही है, ये कौन आ गया जिसके लिए प्रभु श्री कृष्ण दौड़ रहे है | मंत्री, सेनापति, द्वारपाल सब जड़ होकर खड़े है, ऊपर ब्रह्मा जी , कैलाशपति, बृहस्पति, देवराज इंद्र, सूर्य, चन्द्र, यम,शनि …
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कालिंदी बेचारी ज्यादा पढ़ी लिखी तो नही थी पर !!! उस बेचारी ने बहुत कोशिश की थी कि उसके बच्चे पढ़ लिखकर उसका और उसके कुल खानदान का नाम बढ़ाएं…कालिंदी का पति बेचारा श्याम बिल्कुल “” श्याम “” जैसा ही सीधा और भोला था…उसे दुनिया की चालाकियां और चतुराई न समझ में आती थी और ना ही वह वैसा बनना …
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तप के मार्ग का अनुसरण करने वाले हठ मनोबली शूरवीर होते है । तप से मन का कायाकल्प होता है । तपस्या की महिमा अपरंपार है, जो हमें मुक्ति के द्वार लेकर जाती है
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शहर के एक बड़े संग्रहालय के बेसमेंट में कई पेंटिंग्स रखी हुई थी। ये वे पेंटिंग्स थीं, जिन्हें प्रदर्शनी कक्ष में स्थान नहीं मिला था।लंबे समय से बेसमेंट में पड़ी पेंटिंग्स पर मकड़ियों ने जाला बना रखा था
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तुम्हे कुछ दिन से देख रहा हूं, यहां रोज गोलगप्पे की रेहड़ी लगाते हो, स्कूल क्यों नहीं जाते. शर्मा जी ने सड़क किनारे रेहड़ी लगाए 14-15 साल के लड़के से कहा
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“सुधा…… क्या हाल बना रखा है तुमने अपना, अब तो तुम्हारे बदन से भी मसाले की खुशबू आती है | मोहन ने बाथरुम से निकलते ही सुधा को देखा और गुस्से से बड़बड़ाने लगा | सुधा ने मोहन की ओर देखा और आँखे झुका ली | “नाश्ता तैयार है….मोहन चिल्लाते हुए बोला…गुस्सा अपनी चर्म सीमा पर था | “जी ….संक्षिप्त …
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पापा जी आपने पूरा घर ही गन्दा कर दिया| अभी अभी राधा ने पोछा मारा था और आपने चप्पलों के निशान छोड़ दिए| थोड़ी तो समझ होनी चाहिए आपको? आप बच्चे तो हैं नहीं बहू रिया के मुँह से ये शब्द सुनकर अनिल जी हतप्रभ से खड़े रह गए
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