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सनातन धर्म की जानकारी

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राजपूत सम्राट पृथ्वीराज चौहान

राजपूताने की वीर मिट्टी में एक से बढ़कर एक वीर और साहसी महापुरुषों का जन्म हुआ जिन्होंने अपना पराक्रम चारों दिशाओं में दिखाया राजस्थान की धरा में मध्यकाल में शक्तिशाली चौहान राजपूतों का शासन था। 1166 ई. में जन्म हुआ राजपूत सम्राट पृथ्वीराज चौहान का जिन्होंने अल्पायु में ही अपनी वीरता से चारों दिशाओं में अपना नाम सिद्ध कराया।• पृथ्वीराज …

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विवाह किसे कहते है?

क्या नाचने गाने को विवाह कहते हैं, क्या दारू पीकर हुल्लड़ मचाने को विवाह कहते हैं, क्या रिश्तेदारों और दोस्तों को इकट्ठा करके दारु की पार्टी को विवाह कहते हैं ? डी जे बजाने को विवाह कहते हैं, नाचते हुए लोगों पर पैसा लुटाने को विवाह कहते हैं, घर में सात आठ दिन धूम मची रहे उसको विवाह कहते हैं? …

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भाग्य….

एक रेस्टोरेंट में कई बार देखा गया कि, एक व्यक्ति (भिखारी) आता है और भीड़ का लाभ उठाकर नाश्ता कर चुपके से बिना पैसे, दिए निकल जाता है। एक दिन जब वह खा रहा था तो एक आदमी ने चुपके से दुकान के मालिक को बताया कि यह भाई भीड़ का लाभ उठाएगा और बिना बिल चुकाए निकल जाएगा।उसकी बात …

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भगवान को प्रणाम करने का सही तरीका ?

एक बार चित्र को गौर से देखिए फिर पोस्ट पढ़े। भारतीय महिलाएं दंडवत प्रणाम क्यों नहीं करती हैं ? ये है भगवान को प्रणाम करने का सही तरीका। आपने कभी ये देखा है कि कई लोग मूर्ति के सामने लेट कर माथा टेकते है। जी हां इसी को साष्टांग दंडवत प्रणाम कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है …

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“बनियों की कंजूसी कुछ उदाहरण”

दोस्तों दिल्ली में ‘चांदनी चौक’ प्रसिद्ध Jain Lal Temple मन्दिर है। ये लगभग 600 साल पुराना मन्दिर है।इसके बारे में कहते हैं। जब क्रूर, बेरहम, औरंगजेब ने इस मंदिर को तोड़ने का आदेश अपने सिपाहियों को दिया तो, ये बात लाला भागमल जी को पता चली, जो बहुत बड़े व्यापारी थे।उन्होंने औरंगजेब की आंखों में आंखे डालकर ये कह दिया …

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“नर्मदा नदी के हर पत्थर में है शिव, आखिर क्यों ?”

नर्मदेश्वर शिवलिंग के सम्बन्ध में एक धार्मिक कथा है –भारतवर्ष में गंगा, यमुना, नर्मदा और सरस्वती ये चार नदियां सर्वश्रेष्ठ हैं। इनमें भी इस भूमण्डल पर गंगा की समता करने वाली कोई नदी नहीं है। प्राचीनकाल में नर्मदा नदी ने बहुत वर्षों तक तपस्या करके ब्रह्माजी को प्रसन्न किया। प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने वर मांगने को कहा। तब नर्मदाजी ने …

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सिंहासन बत्तीसी की ग्यारहवीं कहानी – त्रिलोचनी पुतली की कथा!!

हर बार की तरह इस बार भी राजा भोज सिंहासन पर बैठने के लिए राज दरबार पहुंचते हैं। इस बार सिंहासन की ग्यारहवीं पुतली त्रिलोचना उन्हें रोक देती है। फिर वह राजा विक्रमादित्य के गुणों के बारे में बताने के लिए महायज्ञ का एक किस्सा सुनाने लगती है। एक बार राजा विक्रमादित्य ने राज्य की खुशहाली के लिए महायज्ञ करने …

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सिंहासन बत्तीसी की बारहवीं कहानी – पद्मावती पुतली की कथा!!

विक्रमादित्य की खूबियों के बारे में बताने के लिए इस बार बारहवीं पुतली सिंहासन से निकलती है। वह राजाभोज को राजा विक्रमादित्य और एक राक्षस की कहानी सुनाती है। एक दिन राजा विक्रमादित्य अपने राज-पाठ का काम खत्म करके सुहाने मौसम का आनंद उठा रहे थे। तभी उन्हें एक महिला की चीख सुनाई दी। वह मदद के लिए के लिए …

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समुद्र के किनारे जब एक तेज़ लहर आयी तो एक बच्चे का चप्पल ही अपने साथ बहा ले गयी..

बच्चा रेत पर अंगुली से लिखता है… “समुद्र चोर है” उसी समुद्र के दूसरे किनारे पर एक मछुवारा बहुत सारी मछलियाँ पकड़ लेता है…. वह उसी रेत पर लिखता है…”समुद्र मेरा पालनहार है” एक युवक समुद्र में डूब कर मर जाता है…. उसकी मां रेत पर लिखती है… “समुद्र हत्यारा है” एक दूसरे किनारे एक गरीब बूढ़ा टेढ़ी कमर लिए …

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