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प्रबल प्रेम के पाले पड़ के
प्रबल प्रेम के पाले पड़ के,प्रभु का नियम बदलते देखा ।अपना मान भले टल जाए,भक्त का मान न टलते देखा ॥ जिनकी केवल कृपा दृष्टी से,सकल विश्व को पलते देखा ।उसको गोकुल के माखन पर,सौ-सौ बार मचलते देखा ॥ जिसका ध्यान बिरंची शम्भू,सनकादिक न सँभालते देखा ।उसको बाल सखा मंडल में,लेकर गेंद उछालते देखा ॥ जिसके चरण कमल कमला के,करतल …
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