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शांतिभोज

“अम्मा, आज तो मज़ा आ गया। खूब छक कर खीर पूड़ी और रसगुल्ले खाने को मिले।”पड़ोस में रहने वाले सेठ बनवारीलाल जी का पिछले दिनों देहांत हो गया था। आज शान्ति भोज में अगल-बगल की झोपड़पट्टी के लोगों को निमंत्रण मिला था। गोलू अपनी माॅं के साथ आया था। वो अचानक बोल पड़ा,“अम्मा, दद्दा और बाबू को भी बुला लो। …

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श्री लक्ष्मी

इसी दिन समुद्र मंथन के समय क्षीर सागर से लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं और भगवान विष्णु को अपना पति स्वीकार किया था। कथा इस प्रकार है-एक बार भगवान शंकर के अंशभूत महर्षि दुर्वासा पृथ्वी पर विचर रहे थे। घूमत-घूमते वे एक मनोहर वन में गए। वहाँ एक विद्याधर सुंदरी हाथ में पारिजात पुष्पों की माला लिए खड़ी थी, वह …

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सास बहु और कामवाली

मां ये क्या हैं …. तुम हमेशा अपनी मेड के लिए ये साड़ियां वगैरह खरीदते रहती हो वो भी मंहगी से मंहगी कल भी खरीदी थी बीना बता रही थी मां जो कीमती साड़ियां तुम्हारी बहु पर शूट करती है वैसी अगर तुम अपने घर की नौकरानी के लिए आखिर चाहती क्या हो क्यों तुलना करने में लगी हो क्या …

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राम भक्त शबरी

शबरी को आश्रम सौंपकर महर्षि मतंग जब देवलोक जाने लगे, तब शबरी भी साथ जाने की जिद करने लगी।शबरी की उम्र दस वर्ष थी। वो महर्षि मतंग का हाथ पकड़ रोने लगी।महर्षि शबरी को रोते देख व्याकुल हो उठे। शबरी को समझाया “पुत्री इस आश्रम में भगवान आएंगे, तुम यहीं प्रतीक्षा करो।”अबोध शबरी इतना अवश्य जानती थी कि गुरु का …

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राधा रानी जी और फूल सखी

बरसाना में फूल सखी नाम का एक मुस्लिम था यद्यपि वो एक मुस्लिम था फिर भी उसकी राधा रानी में अपार श्रद्धा थी और तो और उसकी एक बेटी थी जिसका नाम भी उसने राधा रखा था.फूलसखी सारंगी बजाने का काम करता था कोई भी उत्सव होता तो वो सारंगी बजाता और उसकी बेटी राधा उसकी धुनों पर नृत्य करती.इसी …

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आओ साथ चलें

शांता के घर में पूरी बुजुर्गों की टोली बैठी थी और शांता बड़ी खुशी- खुशी उन्हें बड़े प्रेम के साथ चाय-नाश्ता करा रही थी ।यह सारे लोग साथ में मॉर्निंग वॉक करते ,योगा करते तथा साथ में हंसते- बोलते और छोटी मोटी पार्टियाँ कर मस्ती करते रहते थे। एक समय ऐसा था जब शांता और उसके पति इस बुजुर्ग टोली …

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“कर भला तो हो भला।

“कर भला तो हो भला।” गुप्ता जी, पेशे से व्यापारी थे। कस्बे से दुकान की दूरी महज़ 9 किलोमीटर थी।एकदम वीराने में थी उनकी दुकानकस्बे से वहाँ तक पहुंचने का साधन यदा कदा ही मिलता था, तो अक्सर लिफ्ट मांग कर ही काम चलाना पड़ता था और न मिले तो प्रभु के दिये दो पैर, भला किस दिन काम आएंगे।“कैसे …

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“सच्ची पूजा का फल”

किसी नगर में एक बुढ़िया रहती थी। वह ग्वालिन थी उसके चार पुत्र और एक पुत्री थी। एक समय नगर में हैजा की बीमारी फैली। एक-एक करके बुढ़िया के पति और चारों पुत्र चल बसे। अब एक मात्र लड़की रह गयी। पति और पुत्रों के न रहने पर बुढ़िया की पीड़ा असह्य हो गयी।बुढ़िया के पास अधिक जगह-जमीन न थी। …

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क्यूंकि कल कभी नहीं आएगा।

जितनी बार पढ़ो उतनी बार जिंदगी का सबक दे जाती है ये कहानी ….जीवन के 20 साल हवा की तरह उड़ गए । फिर शुरू हुई नोकरी की खोज । ये नहीं वो, दूर नहीं पास । ऐसा करते करते 2 3 नोकरियाँ छोड़ते एक तय हुई। थोड़ी स्थिरता की शुरुआत हुई।फिर हाथ आया पहली तनख्वाह का चेक। वह बैंक …

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“वृद्ध क्यों वृद्धआश्रम की ओर अग्रसर”

बरामदे में कुर्सी डालकर बैठे रामनारायण क्यारी में दाना चुगती चिड़ियों को देख रहे थे ! तभी घर के सामने मोटरसाइकिल रुकी ,गणेश आया था ! किसी को लेकर सुकेश उनका बेटा ?अचानक अपने बेटे को आया देख कर पुलकित रामनारायण बाँहे फैला खड़े हो गये !गणेश तो प्रणाम कर चला गया ! और सुकेशपिता का स्नेह आशीष पाने के …

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