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हर देश में तू, हर भेष में तू…
हर देश में तू, हर भेष में तू ,तेरे नाम अनेक तू एक ही है ॥तेरे नाम अनेक तू एक ही है ,तेरी रंगभूमि, यह विश्व भरा ॥सब खेल में, मेल में तू ही तो है , सागर से उठा बादल बनके ॥बादल से फटा जल हो करके ,फिर नहर बना नदियाँ गहरी ॥तेरे भिन्न प्रकार, तू एक ही है …
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