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तेरे दरबार में झुकता है साईं सर मेरा
तेरे दरबार में झुकता है साईं सर मेरा । तेरे लिए जान भी हाजिर है, सर क्या हैं मेरा ॥ तेरी रहमत, तेरी रज़ा है तकदीर मेरी । तेरी इबादत से पलतीं हैं लकीरें मेरी । रुख फिज़ा का बदल जाता हो इशारा तेरा ॥ तेरी राहो में है मंजिल साईं मेरी । मुडती जैसे हैं ये राहें वैसे किस्मत …
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