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नौंवे अध्याय का माहात्म्य

देवि ! अब नौंवे अध्यायका माहात्म्य सुनो ! उसके सुननेसे तुम्हें बड़ी प्रसन्नता होगी । [ लक्ष्मीजीके पूछनेपर भगवान् विष्णुने उन्हें इस प्रकार नौंवे अध्यायका माहात्म्य बतलाया था । ] दक्षिणमें आमर्दकपुर नामक एक प्रसिद्ध नगर है । वहाँ भावशर्मा नामक एक ब्राह्मण रहता था , जिसने वेश्याको पत्नी बनाकर रखा था । वह मांस खाता , मदिरा पीता , …

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Shri Mahalaxmi Suprabhatam

श्रीमहालक्ष्मीसुप्रभातम् ॥ श्रीलक्ष्मि श्रीमहालक्ष्मि क्षीरसागरकन्यके उत्तिष्ठ हरिसम्प्रीते भक्तानां भाग्यदायिनि । उत्तिष्ठोत्तिष्ठ श्रीलक्ष्मि विष्णुवक्षस्थलालये उत्तिष्ठ करुणापूर्णे लोकानां शुभदायिनि ॥ १॥ श्रीपद्ममध्यवसिते वरपद्मनेत्रे श्रीपद्महस्तचिरपूजितपद्मपादे । श्रीपद्मजातजननि शुभपद्मवक्त्रे श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ २॥ जाम्बूनदाभसमकान्तिविराजमाने तेजोस्वरूपिणि सुवर्णविभूषिताङ्गि । सौवर्णवस्त्रपरिवेष्टितदिव्यदेहे श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ ३॥ सर्वार्थसिद्धिदे विष्णुमनोऽनुकूले सम्प्रार्थिताखिलजनावनदिव्यशीले । दारिद्र्यदुःखभयनाशिनि भक्तपाले श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ ४॥ चन्द्रानुजे कमलकोमलगर्भजाते चन्द्रार्कवह्निनयने शुभचन्द्रवक्त्रे । हे …

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मन में किसी प्रकार का घमंड नहीं करना चाहिए

एक राजा, वह जब भी मंदिर जाता, तो 2 भिखारी उसके दाएं और बाएं बैठा करते।दाईं तरफ़ वाला कहता: “हे ईश्वर, तूने राजा को बहुत कुछ दिया है, मुझे भी दे दे.!”बाईं तरफ़ वाला कहता: “ऐ राजा.! ईश्वर ने तुझे बहुत कुछ दिया है, मुझे भी कुछ दे दे.!”दाईं तरफ़ वाला भिखारी बाईं तरफ़ वाले से कहता: ईश्वर से माँग …

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आठवें अध्याय का माहात्म्य

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पार्वती ! अब मैं आदरपूर्वक आठवें अध्यायके माहात्म्यका वर्णन करूँगा , तुम स्थिर होकर सुनो । नर्मदाके तटपर माहिष्मती नामकी एक नगरी है । वहाँ माधव नामके एक ब्राह्मण रहते थे ,

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सातवें अध्याय का माहात्म्य

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भगवान शिव कहते हैं- “हे पार्वती ! अब मैं सातवें अध्याय का माहात्म्य बतलाता हूँ, जिसे सुनकर कानों में अमृत-राशि भर जाती है। पाटलिपुत्र नामक एक दुर्गम नगर है जिसका गोपुर (द्वार) बहुत ही ऊँचा है। उस नगर में शंकुकर्ण नामक एक ब्राह्मण रहता था। उसने वैश्य वृत्ति का आश्रय लेकर बहुत धन कमाया किन्तु न तो कभी पितरों का तर्पण किया …

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श्रीमद्भागवद्गीता : माहात्म्य 06 अध्याय

bhagwat-gita-06 chapter

श्रीभगवान् कहते हैं– सुमुखि ! अब मैं छठे अध्याय का माहात्म्य बतलाता हूँ, जिसे सुननेवाले मनुष्यों के लिये मुक्ति करतलगत हो जाती है। गोदावरी नदीके तटपर प्रतिष्ठानपुर (पैठण) नामक एक विशाल नगर है, जहाँ मैं पिप्पलेश के नाम से विख्यात होकर रहता हूँ। उस नगर में जानश्रुति नामक एक राजा रहते थे, जो भूमण्डल की प्रजा को अत्यन्त प्रिय थे। …

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गर्व कीजिये

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चेन्नई में समुद्र के किनारे एक सज्जन धोती कुर्ता में भगवद गीता पढ़ रहे थे। तभी वहां एक लड़का आया और बोला कि आज साइंस का जमाना है… फिर भी आप लोग ऐसी किताबें पढ़ते हो…देखिए जमाना चांद पर पहुंच गया है…और आप लोग ये गीता रामायण पर ही अटके हुए हो….. उन सज्जन ने लड़के से पूंछा की “तुम …

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तेरा सारा जीवन सोच करते ही बीतता

7 मार्च 1672 को महाराष्ट्र के औरंगाबाद स्थित शाही दीवानखाने में बीकानेर के राजकुमार मोहनसिंह और औरंगाबाद के कोतवाल मुहम्मद मीर तोजक के बीच एक हिरण को लेकर विवाद हुआ। कोतवाल मुहम्मद मीर तोजक औरंगजेब के शहजादे मुअज्जम का साला था तो मोहनसिंह भी शाहजादे के अतिप्रिय थे। हिरण के इस विवाद ने देखते ही देखते ही झगड़े का रूप …

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पाँचवें अध्याय का माहात्म्य

श्री भगवान कहते हैं हे देवी! अब सब लोगों द्वारा सम्मानित पाँचवें अध्याय का माहात्म्य संक्षेप में बतलाता हूँ, सावधान होकर सुनो | मद्र देश में पुरुकुत्सपुर नामक एक नगर है | उसमें पिंगल नामक एक ब्राह्मण रहता था | वह वेदपाठी ब्राह्मणों के विख्यात वंश में, जो सर्वदा निष्कलंक था, उत्पन्न हुआ था, किंतु

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भारत से सिर्फ पैसे की ही लूट नहीं हुई,…

यदि हमारे पूर्वजो को हवाई जहाज बनाना नहीं आता, तो हमारे पास “विमान” शब्द भी नहीं होता।यदि हमारे पूर्वजों को Electricity की जानकारी नहीं थी, तो हमारे पास “विद्युत” शब्द भी नहीं होता।यदि “Telephone” जैसी तकनीक प्राचीन भारत में नहीं थी तो, “दूरसंचार” शब्द हमारे पास क्यो है।Atom और electron की जानकारी नहीं थी तो अणु और परमाणू शब्द कहा …

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