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Do you Know?

बंदर राजा !!

 एक बार जंगल में राजा चुने जाने के लिए चुनाव हुए। चुनाव के लिए सभी जानवरों ने अपनी-अपनी प्रतिभा दिखाई और अंत में बंदर का नाच सब जानवरों को पसंद आया। अब सबने एकमत से फैसला करके बंदर को ही अपना राजा घोषित कर दिया। लेकिन लोमड़ी को बंदर का राजा बनना अच्छा नहीं लगा, इसलिए वह उसे नीचा दिखाने …

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चूहा और बिल्ली !!

एक घर में बहुत चूहे हो गए थे। वे घर का कीमती सामान कुतर देते थे। घर का मालिक इन चूहों से परेशान होकर एक बिल्ली ले आया। बिल्ली उस घर में आकर बहुत खुश थी, क्योंकि मालकिन उसे सुबह-शाम कटोरा भर दूध देती। बिल्ली दिनभर चूहों को मारती और उन्हें खा जाती। इस तरह मालिक तो खुश था ही, …

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“मैं न होता तो क्या होता”

न मैं श्रेष्ठ हूँ, न मैं ख़ास हूँ। मैं तो बस छोटा सा, भगवान के चरणों का दास हूँ॥अतः अपने मन में सदैव यह बात लेकर चलें किसमय और स्थिति कभी भी बदल सकते हैं, अत: कभी किसी का अपमान ना करें, और न ही किसी को तुच्छ समझें।आप शक्तिशाली हो सकते हैं, पर समय आपसे अधिक शक्तिशाली है!🌹 गाय …

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घट-घट में राम !!

संत कबीरदास प्रायः गाया करते थे, कबिरहिं फिकर न राम की घूमत मस्त फकीर। पीछे-पीछे राम हैं, कहत कबीर-कबीर। कबीर के एक शिष्य ने कहा, ‘गुरुजी जब भगवान् राम आपके पीछे पीछे घूमते हैं, तो क्यों न हमें भी एक बार उनके दर्शन का सौभाग्य मिले।’ कबीरदास ने हँसकर कहा, भैया, भगवान् उसे ही दर्शन देते हैं, जो दुर्व्यसनों से …

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सेठ रामदास जी गुड़वाले

इतिहास के पन्नों में कहाँ हैं ये नाम? सेठ रामदास जी गुड़वाले – 1857 के महान क्रांतिकारी,दानवीर जिन्हें फांसी पर चढ़ाने से पहले अंग्रेजों ने उनपर शिकारी कुत्ते छोड़े जिन्होंने जीवित ही उनके शरीर को नोच खाया। सेठ रामदास जी गुडवाला दिल्ली के अरबपति सेठ और बेंकर थे. और अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के गहरे दोस्त थे. इनका …

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त्यागभूमि नहीं कर्मभूमि !!

विख्यात स्वतंत्रता सेनानी और साहित्यकार पंडित हरिभाऊ उपाध्याय के आमंत्रणपर लाला लाजपतरायजी 1927 में अजमेर पधारे। वहाँ राष्ट्रीय आंदोलन के संबंध में लालाजी का बड़ा प्रभावी भाषण हुआ। हरिभाऊजी को उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय भावनाओं के प्रचार के लिए प्रकाशित पत्रिका का नाम त्यागभूमि की जगह कर्मभूमि होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि त्याग और वैराग्य के उपदेश की जगह …

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शब्दों का जादू !!

सेठ अनाथपिंडक भगवान् बुद्ध के परम स्नेहभाजन थे। वे अपने मन की तमाम बातें और वेदना निःसंकोच उनके समक्ष प्रस्तुत कर समाधान पाने की आशा रखते थे। एक दिन अनाथपिंडक का उदास चेहरा देखकर तथागत ने उनसे पूछा, ‘सेठ, किस समस्या के कारण चिंतित हो?’ उन्होंने बताया, ‘नई बहू सुजाता के व्यवहार के कारण बहुत परेशान हूँ। वह अत्यंत अभिमानी …

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करुणा और प्रेम !!

दक्षिण भारत के एक नगर में तिरुविशनल्लूर अय्यावय्यर नामक एक निश्छल हृदय के विद्वान् ब्राह्मण रहते थे। उन्होंने धर्मशास्त्रों का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला कि करुणा और प्रेम ही धर्म का सार है। एक बार उनके पिता के श्राद्ध का दिन था। ब्रह्मभोज की तैयारी हो रही थी। श्राद्ध के अवसर पर ब्राह्मण को जो भोजन दिया जाता है, …

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सद्बुद्धि-सद्भावना !!

एक सेठ अत्यंत धर्मात्मा थे। वे अपनी आय का बहुत बड़ा हिस्सा सेवा परोपकार जैसे धार्मिक कार्यों में खर्च किया करते थे कई पीढ़ियों से उनके परिवार पर लक्ष्मी की असीम कृपा बनी रहती थी। एक बार देवी लक्ष्मी के मन में आया कि एक जगह रहते-रहते कई सौ वर्ष हो गए, ऐसे में, क्यों न इस परिवार को त्यागकर …

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अहंकार त्यागो !!

राजगृह के राजकीय कोषाध्यक्ष की पुत्री भद्रा बचपन से ही प्रतिभाशाली थी। उसने माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध एक युवक से विवाह कर लिया। विवाह के बाद उसे पता चला कि वह दुर्व्यसनी और अपराधी किस्म का है। एक दिन युवक ने भद्रा के तमाम आभूषण कब्जे में ले लिए और उसकी हत्या का प्रयास किया, पर भद्रा ने युक्तिपूर्वक …

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