श्री राम का विवाह और राज्याभिषेक, दोनों शुभ मुहूर्त देख कर किए गए थे; फिर भी न वैवाहिक जीवन सफल हुआ, न ही राज्याभिषेक! और जब मुनि वशिष्ठ से इसका उत्तर मांगा गया, तो उन्होंने साफ कह दिया “सुनहु भरत भावी प्रबल, बिलखि कहेहूं मुनिनाथ। हानि लाभ, जीवन मरण, यश अपयश विधि हाथ।।” अर्थात – जो विधि ने निर्धारित किया …
Read More »GOD
ॐ नमः शिवाय
माना जाता है कि सोलह सोमवार रखने से घर में सुख और समृद्धि आती है और घर का कलेह का नाश होता है रोगों से मुक्ति मिलती है और पति पत्नी के संबंधों में भी मधुरता बढ़ती है महादेव भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सोलह सोमवार का व्रत एक अति उत्तम व्रत बताया गया है चलिए जानते है हम …
Read More »शेख चिल्ली का सपना
SHEIKH CHILLI एक गाँव में शेख चिल्ली नाम का एक लड़का रहता था। वह हमेशा बहुत सपने देखता था। अपने सपनों में खो जाना और अपने काम को भूल जाना उसकी आदत थी। उनकी मां ने हमेशा उन्हें बदलने की कोशिश की। आप हमेशा यहां बैठते हैं और पूरे दिन सपने देखते हैं। लेकिन, आपको उन सपनों को पूरा करने …
Read More »क्यों चढ़ाया जाता है भगवान गणेश को दुर्वा कीगांठें, जानिए इसका रहस्य
शास्त्रों में प्रथम पूज्य भगवान गणेश जी की पूजा बुधवार करने का विधान है. वैसे तो भगवान गणेश की पूजा किसी भी पूजा के पहले की जाती है. लेकिन बुधवार को गजानंद के भक्त पूरे विधि-विधान के साथ उनकी अराधना करते हैं. गणशे जी की पूजा में दूर्वा जरूर होता है. क्योंकि श्री गणेश को दूर्वा बहुत प्रिय है. .मोदक …
Read More »फांसी से वापसी
एक बार की बात है अकबर को उनकी रानी ने कहा की आप केवल अपने दरबार में बीरबल की तारीफ करते है। मानसिंह जो की मेरा भाई है वह भी तो उतना ही बुद्धिमान है लेकिन आप उसकी इतनी तारीफ नहीं करते। अकबर ने कहा की मानसिंह भी होशियार है लेकिन बीरबल सभी वजीर में से सबसे ज़्यादा बुद्धिमान है। …
Read More »साक्षात् माँ स्वरूपा
स्वामी कृष्ण परमहंस का मूल मंत्र था, ‘प्रत्येक प्राणी में आत्मा स्वरूप भगवान् विद्यमान हैं। यदि किसी प्राणी की सेवा करोगे , तो समझ लो कि साक्षात् परमात्मा की सेवा का पुण्य स्वतः प्राप्त हो रहा है। यदि किसी को दुःख पहुँचाओगे, तो ईश्वर के प्रकोप को सहन करना ही पड़ेगा। स्वामी रामकृष्ण प्रत्येक पुरुष में भगवान् के दर्शन करते …
Read More »प्रेम ही परमात्मा
महर्षि अरविंद से एक दिन एक जिज्ञासु ने प्रश्न किया, ‘क्या ईश्वर को प्रत्यक्ष देखा जा सकता है?’ महर्षि ने उत्तर दिया, ‘जिस प्रकार प्रेम और सुख की मात्र अनुभूति की जा सकती है, उसी प्रकार सच्चा प्रेम करना सीखो, ईश्वर की अनुभूति स्वयं होने लगेगी । ‘ कुछ क्षण रुककर उन्होंने फिर कहा, ‘क्या कोई वायु, गंध आदि का …
Read More »लोभ-लालच से दूर
कौशांबी के राजा जितशत्रु विद्वानों का बड़ा सम्मान करते थे। उन्होंने चौदह विद्याओं में पारंगत तथा परम तपस्वी ब्राह्मण काश्यप को राजपंडित मनोनीत किया था। अचानक काश्यप की मृत्यु हो गई। उनके पुत्र कपिल ने एक दिन अपनी माँ से पूछा, ‘माँ, जब राजा का पुत्र राजा की जगह ले सकता है, तो मैं राजपंडित क्यों नहीं बन सकता?’ माँ …
Read More »मन को साधो
हमारे सभी शुभ-अशुभ कर्मों का कारण मन है। उपनिषद् में कहा गया है, ‘मन एव मनुष्याणां कारणं बंधमोक्षयोः।’ अर्थात् मन के परिष्कृत शुद्ध हो जाने से या उसमें सत्य को प्रतिष्ठित करने से स्वतः दया, करुणा, उदारता, सेवा, परोपकार जैसे सद्गुणों का समावेश हो जाता है। भगवान् श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हुए कहते हैं, जिसका मन वश में है, …
Read More »सबसे अच्छा गुण
भगवान् श्रीराम समय-समय पर अपने गुरुदेव वशिष्ठजी के आश्रम में जाकर उनका सत्संग किया करते थे । एक दिन सत्पुरुषों के सत्संग के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए महर्षि वशिष्ठजी ने कहा, ‘रघुकुल भूषण राम! जिस प्रकार दीपक अंधकार का नाश करता है, उसी प्रकार विवेक ज्ञान संपन्न महापुरुष हृदय स्थित अज्ञानरूपी अंधकार को सहज ही में हटा देने में …
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