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बृहस्पति देव

Bhraspati Dev Stoty

देव गुरु बृहस्पति पीत वर्ण के हैं। उनके सिरपर स्वर्ण मुकुट तथा गले में सुन्दर माला हैं । वे पीत वस्त्र धारण करते हैं तथा कमल के आसन पर विराजमान हैं । उनके चार हाथों में क्रमशः- दण्ड, रुद्राक्ष की माला , पात्र और वरमुद्रा सुशोभित हैं।महाभारत आदिपर्व के अनुसार बृहस्पति महर्षि अङ्गिरा के पुत्र तथा देवताओं के पुरोहित हैं। …

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क्या आप भगवती लक्ष्मी के 18 पुत्रो के नाम जानते हैं।

Kya aap bhagwati luxmi

इनके प्रतिदिन इनके नाम के आरंभ में ‘ॐ’ और अंत में ‘नम:’ लगाकर जप करने से मनचाहे धन की प्राप्ति होती है। जैसे : 1 ) ॐ देवसखाय नम: 2 ) ॐ चिक्लीताय नम: 3 ) ॐ आनंदाय नम: 4 ) ॐ कर्दमाय नम: 5 ) ॐ श्रीप्रदाय नम: 6 ) ॐ जातवेदाय नम: 7 ) ॐ अनुरागाय नम: 8 …

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भगवान शिव के लिए माता पार्वती ने किया था घोर तप

Bhagwan Shiv Ke liye

शिवपुराण में कथा है कि ब्रह्माजी के आदेशानुसार भगवान शंकर को वरण करने के लिए पार्वती ने कठोर तप किया था। ब्रह्मा के आदेशोपरांत महर्षि नारद ने पार्वती को पंचाक्षर मंत्र ‘शिवाय नमः’ की दीक्षा दी। दीक्षा लेकर पार्वती सखियों के साथ तपोवन में जाकर कठोर तपस्या करने लगीं। उनके कठोर तप का वर्णन शिवपुराण में आया है। माता-पिता की …

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वेदवती का रावण को श्राप

vedvati ka ravan ko shrap Story

  राजा धर्मद्वज का कुशध्वज नामक एक धर्मात्मा भाई था। उसका विवाह मालावती नामक युवती से हुआ। धर्मध्वज के भांति कुशध्वज भी भगवती जगदम्बा का अनन्य भक्त था। वह प्रतिदिन उनके मायाबीज मंत्र का जाप करता था। भगवती कि कृपा से कुशध्वज के घर एक सुन्दर कन्या उत्पन्न हुई। वह कन्या महालक्ष्मी का अंश थी। जन्म लेते ही वह कन्या …

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माता सीता के स्वयंवर की कथा

Mata Sita Ke svemver Ki katha

  सीता के स्वयंवर की कथा वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस के बालकांड सहित सभी रामकथाओं में मिलती है। वाल्मीकि रामायण में जनक द्वारा सीता के लिए वीर्य शुल्क का संबोधन मिलता है। जिसका अर्थ है राजा जनक ने यह निश्चय किया था कि जो व्यक्ति अपने पराक्रम के प्रदर्शन रूपी शुल्क को देने में समर्थ होगा, वही सीता से …

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परशुरामअवतार

Parshuram Avtar

प्राचीन काल की बात है। पृथ्वी पर हैहयवंशीय क्षत्रिय राजाओं का अत्याचार बढ़ गया था। चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था। गौ, ब्राह्मण और साधु असुरक्षित हो गए थे। ऐसे समय में भगवान स्वयं परशुराम के रुप में जमदग्नि ऋषि की पत्नी रेणुका के गर्भ से अवतरित हुए। उन दिनों हैहयवंश का राजा सहस्त्रबाहु अर्जुन था। वह बहुत ही अत्याचारी …

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ॐ जय लक्ष्मी माता

lakshme

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता तुम को निस दिन सेवत, मैयाजी को निस दिन सेवत हर विष्णु विधाता . ॐ जय लक्ष्मी माता .. उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता ओ मैया तुम ही जग माता . सूर्य चन्द्र माँ ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॐ जय लक्ष्मी माता .. दुर्गा रूप निरन्जनि, सुख सम्पति दाता ओ …

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दुर्गा अष्टमी

मां शक्ति की दस महा विद्या का पूजन वर्ष के विभिन्न मासों में किया जाता है और यह दस महा विद्याओं का पूजन गुप्त साधना के रुप में भी जाना जाता है. धूमावती देवी के स्तोत्र पाठ व सामूहिक जप का अनुष्ठान होता है. काले वस्त्र में काले तिल बांधकर मां को भेंट करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण …

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महानवमी

navmi

महानवमी  हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। आश्विन माह में शुक्ल पक्ष की नवमी या कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की नवमी या फिर मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की नवमी को ‘महानवमी’ कहा जाता है। नौ दिनों तक चलने वाले ‘नवरात्र’ में नवमी की तिथि ‘महानवमी’ कहलाती है। इस दिन देवी दुर्गा के नौवें स्वरूप माँ सिद्धिदात्री की पूजाविशेष रूप से की जाती है। यह दुर्गापूजा उत्सव ही है।[1] महानवमी के दिन भक्तजन …

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पापाकुंशा एकादशी

पापाकुंशा एकादशी व्रत आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन किया जाता है. पापाकुंशा एकादशी के दिन मनोवांछित फल कि प्राप्ति के लिये श्री विष्णु भगवान कि पूजा की जाती है. इस वर्ष 12 अक्तूबर 2016 को यह व्रत किया जाएगा. एकादशी के पूजने से व्यक्ति को स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है. भगवान विष्णु का भक्ति भाव …

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