कई लोग ये पूछते हैं कि श्रीराम ने धनुष उठा कर स्वयंवर की शर्त तो पूरी कर ही दी थी, फिर उस धनुष को भंग करने की क्या आवश्यकता थी?यदि आप मेरा दृष्टिकोण पूछें तो मैं यही कहूंगा कि उस धनुष की आयु उतनी ही थी। अपना औचित्य (देवी सीता हेतु श्रीराम का चुनाव) पूर्ण करने के उपरांत उस धनुष …
Read More »God Leela
मयूर पंख
वनवास के दौरान माता सीताजी को पानी की प्यास लगी, तभी श्रीरामजी ने चारों ओर देखा, तो उनको दूर-दूर तक जंगल ही जंगल दिख रहा था। कुदरत से प्रार्थना की~हे वन देवता ! कृपया आसपास जहाँ कहीं पानी हो, वहाँ जाने का मार्ग सुझाईये। तभी वहाँ एक मयूर ने आकर श्रीरामजी से कहा, कि आगे थोड़ी दूर पर एक जलाशय …
Read More »श्रीराम के अवतार के समय
माना जाता है कि श्रीराम अवतार के समय हनुमान जी को स्वयं भगवान श्रीराम नेअमर होने का आशीर्वाद दिया था।इसी कारण हनुमानजी का प्रताप चारों युगों में रहा हैऔर आगे भी रहेगा, क्योंकि वे अजर-अमर हैं।अंजनी सुत जब तक चाहें शरीर में रहकरइस धरती पर मौजूद रह सकते हैं।माना जाता है कि पूरे ब्रह्मांड में हनुमानजी ही एकमात्र ऐसे देवता …
Read More »तीन प्रकार के प्रारब्ध होते हैं-
मन्द प्रारब्धतीव्र प्रारब्ध3.तरतीव्र प्रारब्ध।मंद प्रारब्ध…. को तो आप वैदिक पुरुषार्थ से बदल सकते हैं,तीव्र प्रारब्ध…..आपके पुरुषार्थ एवं संतों-महापुरुषों की कृपा से टल सकता है लेकिनतरतीव्र प्रारब्ध…. में जो होता है वह होकर ही रहता है।एक बार रावण कहीं जा रहा था। रास्ते में उसे विधाता मिले। रावण ने उन्हें ठीक से पहचान लिया। उसने पूछाः“हे विधाता ! आप कहाँ से …
Read More »भगवान श्री राम और केवट संवाद
जब केवट प्रभु के चरण धो चुका, तो भगवान कहते हैं:- भाई, अब तो गंगा पार करा दे।इस पर केवट कहता है – प्रभु, नियम तो आपको पता ही है कि जो पहले आता है उसे पहले पार उतारा जाता है। इसलिए प्रभु अभी थोड़ा और रुकिये। तब भगवान् कहते हैं- भाई, यहाँ तो मेरे सिवा और कोई दिखायी नहीं …
Read More »जय श्री राम और जय हनुमान
एक दिन सुबह सुबह दरवाजे की घंटी बजी । दरवाजा खोला तो देखा एक आकर्षक कद- काठी का व्यक्ति चेहरे पे प्यारी सी मुस्कान लिए खड़ा हैं ।मैंने कहा, “जी कहिए..”तो उसने कहा,अच्छा जी, आप तो रोज़ हमारी ही गुहार लगाते थे,मैंने कहा“माफ कीजिये, भाई साहब ! मैंने पहचाना नहीं, आपको…”तो वह कहने लगे,“भाई साहब, मैं वह हूँ, जिसने तुम्हें …
Read More »नंद के लाला यशोदा के प्यारे
नंद के लाला यशोदा के प्यारेराधा के प्रियतम ओह मोहन प्यारे….-2 वन में थे तुम तो गउए चरातेग्वालिनों से थे माखन चुराते -2गोवर्धन को नक पे थे धारे।राधा के प्रियतम ओह मोहन प्यारे।नंद के लाला यशोदा के प्यारे…… कुंझ गलियां में थे रास रचातेराधिका जी को तुम थे रिझाते -2बंसी बजा के जमुना किनारे।राधा के प्रियतम ओह मोहन प्यारे।नंद के …
Read More »राधा का चरणामृत
आज हम बालकृष्ण और राधा का एक प्रसंग सुनेंगे । एक बार गोकुल में बालकृष्ण बीमार हो गए थे । कोई भी वैद्य, औषधि, जडी-बूटी उन्हें ठीक नहीं कर पा रही थी । गोपियों को यह बात पता चली । गोपियां कृष्ण से मिलने आई । कृष्ण की ऐसी स्थिति देखकर सभी गोपियों की आंखों में आंसू आ गए । …
Read More »नरकासुर वध
आज की यह कहानी दीपावली से संबधित है । भागवत पुराण में बताए अनुसार, भगवान श्रीविष्णु ने वराह अवतार धारण कर भूमि देवता को समुद्र से निकाला था । इसके बाद भूमि देवता ने एक पुत्र को जन्म दिया । उसका नाम भौम था । पिता एक परमदेव और माता पुण्यात्मा होने पर भी पर भौम क्रूर था, इसलिए उसका …
Read More »देवी लक्ष्मी कहां विराजमान रहती है
एक दिन धर्मराज युधिष्ठिर ने पितामह भीष्म से पूछा, ‘‘पितामह ! क्या करने से मनुष्य के दुःखों का नाश होता है ? कोई मनुष्य दुःखी होनेवाला है अथवा सुखी होनेवाला है, यह कैसे समझ सकते हैं ? किसका भविष्य उज्ज्वल होगा और किसका पतन होगा यह कैसे पता चल सकता है ? पितामह भिष्म ने कहां, ‘‘पुत्र इस विषय में …
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