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वृन्दावन जाऊँगा

वृन्दावन जाऊँगा वृन्दावन जाऊँगामुझको रोको ना मैं तो वृन्दावन जाऊँगा वृन्दावन जाके मैं श्याम संग खेलूंगाश्याम संग खेलूंगा मैं ग्वालो संग खेलूंगासंग में उनके खेलूंगा संग में उनके खेलूंगामुझको रोको ना मैं तो वृन्दावन जाऊँगा वृन्दावन में कान्हा माखन चुरायेगामाखन चुरायेगा वो ग्वालो को खिलायेगासंग में उनके आऊगा संग में उनके आऊगामुझको रोको ना मैं तो वृन्दावन जाऊँगा वृन्दावन में …

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काया नही रे सुहाणी भजन बिन

काया नही रे सुहाणी भजन बिनबिना लोण से दाल आलोणी भजन बिन गर्भवास म्हारी भक्ति क भूली नबाहर हूई न भूलाणीमोह माया म नर लिपट गयोसोयो तो भूमि बिराणी भजन बिन हाड़ मास को बणीयो रे पिंजरोउपर चम लिपटाणीहाथ पाव मुख मस्तक धरीयाँआन उत्तम दीरे निसाणी भजन बिन भाई बंधु और कुंटूंब कबिलाइनका ही सच्चा जायराम नाम की कदर नी …

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श्रीकृष्ण – चरित्र (Krishna – Character)

khud to baahar hee khade rahe

समदर्शिता भगवान श्रीकृष्ण समदर्शी थे, और उनकी समदर्शिता की सीमा में केवल मनुष्य – समाज ही आता हो, सो बात नहीं, पशु – पक्षी, लता – वृक्ष आदि सभी के लिए उसमें स्थान था । उन्होंने गौओं की सेवा कर पशुओं में भी भगवान का वास दिखलाया । कदंब आदि वृक्षों के तले वन में विहार कर, उभ्दिज्ज – जगत …

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जानिए गोगा जी के बारे में

goga ji maharaaj

गोगाजी का जन्म राजस्थान के ददरेवा (चुरू) चौहान वंश के शासक जैबर (जेवरसिंह) की पत्नी बाछल के गर्भ से गुरु गोरखनाथ के वरदान से भादो सुदी नवमी को हुआ था। चौहान वंश में राजा पृथ्वीराज चौहान के बाद गोगाजी वीर और ख्याति प्राप्त राजा थे। गोगाजी का राज्य सतलुज सें हांसी (हरियाणा) तक था। लोकमान्यता व लोककथाओं के अनुसार गोगाजी …

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सच्चे भक्त जीवन के हर क्षण को भगवान का आशीर्वाद मानकर उसे स्वीकार करते हैं

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एक बार भगवान राम और लक्ष्मण एक सरोवर में स्नान के लिए उतरे। उतरते समय उन्होंने अपने-अपने धनुष बाहर तट पर गाड़ दिए जब वे स्नान करके बाहर निकले तो लक्ष्मण ने देखा की उनकी धनुष की नोक पर रक्त लगा हुआ था! उन्होंने भगवान राम से कहा -” भ्राता ! लगता है कि अनजाने में कोई हिंसा हो गई ।” …

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उदेश्यों की पवित्रता से मिलती है महानता

kaisi vani kisa sath'

कान्यकुब्ज देश के राजा कौशिक एक दिन अपने दल-बल समेत आखेट के लिए वन की ओर गए। लौटते समय वशिष्ठ ऋषि के आश्रम में कौशिक का ठहरना हुआ। राजा और उनकी विशाल सेना की वशिष्ठ ने भरपूर आवभगत की। कौशिक को आश्चर्य हुआ कि इस घने जंगल में एक त्यागी- तपस्वी ऋषि के पास इतने साधन कहां से आए। पूछने …

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तोल-मोल कर बोलें बोल, हर समस्या होगी गोल

तोल-मोल कर बोलें बोल, हर समस्या होगी गोल

स्वामी विवेकानंद बचपन से ही साहसी और निडर बालक थे। उनके बचपन का नाम नरेंद्र था। एक बार वह अपने दोस्त के यहां खेलने गए। तब उनकी उम्र 8 साल थी। मित्र के घर चंपा का पेड़ था। नरेंद्र को उस पर लटक कर खेलना काफी पसंद था। हर दिन की तरह उस दिन भी उसी पेड़ पर चढ़कर नरेंद्र …

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भक्त और भगवान का एक प्यारा रिश्ता

vभक्त और भगवान का एक प्यारा रिश्ता

कृष्णा हर दिन एक बाग़ में जाया करते थे और उस बाग़ के सभी पुष्पों को प्यार किया करते थे | बदले में वे सभी पुष्प भी कृष्णा की तरफ अपना प्यार दर्शाया करते थे | उन सभी पुष्पों के चेहरों पर कृष्ण को देखकर एक मधुर मुस्कान आ जाया करती थी | उसी बाग़ में एक बबूल का पेड़ …

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जीवन का अनमोल संदेश

आपने यह कथा पहले भी कभी न कभी जरूर पढ़ी होगी लेकिन धार्मिक कथाएं सिर्फ कथाएं नहीं हैं,ज्ञान का अक्षय भंडार हैं. वृकासुर की इस कथा में कई अनमोल संदेश छिपे हैं जो शिवजी और श्रीहरि ने दिए हैं. ये संदेश ये सीख हमारे जीवन के लिए बड़ी उपयोगी है. आप कथा पूरी पढ़ें, कथा का आनंद भी मिलता रहेगा …

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केवल यहां पर कीजिए लक्ष्य केंद्रित

तोल-मोल कर बोलें बोल, हर समस्या होगी गोल

एक बार स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे थे। अचानक, एक जगह से गुजरते हुए उन्होंने पुल पर खड़े कुछ लड़कों को नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगाते देखा। किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था। तब उन्होंने ने एक लड़के से बन्दूक ली और खुद निशाना लगाने …

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