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परमभक्त हनुमान्

bhakti ka adbhut prakashta story

हनुमान् जी महाराज भगवान् के परम भक्त थे। उनमें तीन बात विशेष थी- १- भगवान् के चरणों में रहते थे। भगवान् को छोड़कर एक क्षण भी अलग नहीं होना चाहते थे। जब भगवान् की आज्ञा होती थी, तभी भगवान् की आज्ञा पालन के लिये चरणों से अलग होते थे। २- जब भगवान् की आज्ञा हो गयी तो साथ में रहने …

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भगवती सती का शिव-प्रेम

bhagavaan bhaaskar kee aaraadhana ka adbhut phal

एक समय की बात थी लीलाधारी परमेश्वर शिव एकान्त में बैठे हुए थे। वहीं सती भी विराजमान थीं। आपस में वार्तालाप के प्रसंग में भगवान् शिव के मुख से सती के श्यामवर्ण को देखकर ‘काली’ यह शब्द निकल गया। ‘काली’ यब शब्द सुनकर सती को महान् दुःख हुआ और कहा—‘महाराज! आपने मेरे कृष्ण वर्ण को देखकर मार्मिक वचन कहा है। …

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शिव और शक्ति

shankar

शिव’ और ‘शक्ति’- ये परम शिव अर्थात् परम तत्त्व के दो रुप हैं। शिव कूटस्थ तत्त्व है और शक्ति परिणामिनी है। विविध वैचित्र्यपूर्ण संसार के रुप में अभिव्यक्त शक्ति का आधार एवं अधिष्ठान शिव है। शिव अव्यक्त, अदृश्य, सर्वगत एवं अचल आत्मा है। शक्ति दृश्य, चल एवं नाम-रुप के द्वारा व्यक्त सत्ता है। शक्ति-नटी शिव के अनन्त, शान्त एवं गम्भीर …

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श्रीराम आदि चारों भाइयों का विवाह

yahee haribhakt kahate hain

राजा दशरथ ने जिस दिन अपने पुत्रों के विवाह के निमित्त उत्तम गोदान किया, उसी दिन भरत के सगे मामा केकयराजकुमार वीर युधाजित् वहां आ पहुंचे। उन्होंने महाराज का दर्शन कर के कुशल-मंगल पूछा। ‘रघुनन्दन! केकयदेश के महाराज ने बड़े स्नेह के साथ आपका कुशल-समाचार पूछा है और आप भी हमारे यहां के जिन-जिन लोगों की कुशलवार्ता जानना चाहते होंगे, …

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परम शैव भगवान विष्णु की शिवोपासना

Bhagwan Shiv Ke liye

समय के परिवर्तन से कभी तो देवता बलवान हो जाते हैं और कभी दानव। एक बार दानवों की शक्ति बहुत अधिक हो गयी और वे देवों को बहुत अधिक कष्ट पहुंचाने लगे। देवता बहुत संत्रस्त और संतप्त हुए। इसलिए अपने दु:खों की निवृत्ति के लिए भगवान विष्णु के समीप गए और उनकी स्तुति करने लगे। स्तुति से प्रसन्न होकर विष्णु …

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श्री हनुमान क्यों हुए सिंदूरी

bhakti ka adbhut prakashta story

कहा जाता है जब रावण को मारकर राम जी सीता जी को लेकर अयोध्या आए थे। तब हनुमान जी ने भी भगवान राम और माता सीता के साथ आने की जिद की। राम जी ने उन्हें बहुत रोका। लेकिन हनुमान जी थे कि अपने जीवन को श्री राम की सेवा करके ही बिताना चाहते थे। श्री हनुमान दिन-रात यही प्रयास …

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विनम्रता का फल

Vinamrta Ka Fl Story

महाभारत की एक कथा है। धर्मयुद्ध अपने अंतिम चरण में था। भीष्म पितामह शैय्या पर लेटे हुए अपने जीवन के आखिरी क्षण गिन रहे थे। उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान मिला हुआ था और वे सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने की प्रतीक्षा कर रहे थे। धर्मराज युधिष्ठिर जानते थे कि पितामह ज्ञान और जीवन संबंधित अनुभव से संपन्न हैं। …

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प्रदोष व्रत का महत्त्व

Pardosh Vart Ka Mahtav Story

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत प्रत्येक मास की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। यह व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों को किया जाता है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की उपासना की जाती है। यह व्रत हिंदू धर्म के सबसे शुभ व महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। जानिए इसकी पूजन विधि, कथा और महत्त्व …

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‎गिलहरी‬ का ‪‎रामसेतु‬ बनाने में योगदान

Gilheri Ka Ramsetu Banane Story

माता सीता को वापस लाने के लिए रामसेतु बनाने का कार्य चल रहा था। भगवान राम को काफी देर तक एक ही दिशा में निहारते हुए देख लक्ष्मण जी ने पूछा भैया आप इतनी देर से क्या देख रहें हैं? भगवान राम ने इशारा करते हुए दिखाया कि वो देखो लक्ष्मण एक गिलहरी बार-बार समुद्र के किनारे जाती है और …

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चाणक्य की सीख‬

Chanekya Ki Sikh Story

बात 325 ई. पू. की है, जब भारत में मौर्य वंश का शासन था। सम्राट चंद्रगुप्त एक कुशल योद्धा, सेनानायक तथा महान विजेता ही नहीं थे, बल्कि एक योग्य शासक भी थे और उनकी सुदृढ़ शासन व्यवस्था का प्रमुख आधार चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री चाणक्य थे। शासन व्यवस्था पर उनका पूरा अंकुश था। कहा जाता है एक दिन एक विदेशी …

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