दक्षिण भारत में तमिलनाडू में पाताल गंगा कृष्णा नदी के तट पर वृपवित्र श्रीशैल पर्वत है, जिसे दक्षिण का कैलास कहा जाता है । श्रीशैल पर्वत के शिखर दर्शन मात्र से भी सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और आवागमन के चक्र से मुक्ति मिल जाती है । इसी श्रीशैल पर भगवान मल्लिकार्जुन का ज्योतिर्मय लिंग स्थित है । मंदिर …
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भगवती सती का शिव-प्रेम
एक समय की बात थी लीलाधारी परमेश्वर शिव एकान्त में बैठे हुए थे। वहीं सती भी विराजमान थीं। आपस में वार्तालाप के प्रसंग में भगवान् शिव के मुख से सती के श्यामवर्ण को देखकर ‘काली’ यह शब्द निकल गया। ‘काली’ यब शब्द सुनकर सती को महान् दुःख हुआ और कहा—‘महाराज! आपने मेरे कृष्ण वर्ण को देखकर मार्मिक वचन कहा है। …
Read More »शिव और शक्ति
शिव’ और ‘शक्ति’- ये परम शिव अर्थात् परम तत्त्व के दो रुप हैं। शिव कूटस्थ तत्त्व है और शक्ति परिणामिनी है। विविध वैचित्र्यपूर्ण संसार के रुप में अभिव्यक्त शक्ति का आधार एवं अधिष्ठान शिव है। शिव अव्यक्त, अदृश्य, सर्वगत एवं अचल आत्मा है। शक्ति दृश्य, चल एवं नाम-रुप के द्वारा व्यक्त सत्ता है। शक्ति-नटी शिव के अनन्त, शान्त एवं गम्भीर …
Read More »परम शैव भगवान विष्णु की शिवोपासना
समय के परिवर्तन से कभी तो देवता बलवान हो जाते हैं और कभी दानव। एक बार दानवों की शक्ति बहुत अधिक हो गयी और वे देवों को बहुत अधिक कष्ट पहुंचाने लगे। देवता बहुत संत्रस्त और संतप्त हुए। इसलिए अपने दु:खों की निवृत्ति के लिए भगवान विष्णु के समीप गए और उनकी स्तुति करने लगे। स्तुति से प्रसन्न होकर विष्णु …
Read More »प्रदोष व्रत का महत्त्व
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत प्रत्येक मास की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। यह व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों को किया जाता है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की उपासना की जाती है। यह व्रत हिंदू धर्म के सबसे शुभ व महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। जानिए इसकी पूजन विधि, कथा और महत्त्व …
Read More »आखिर क्यों दिया था माता पार्वती ने भगवान शिव, विष्णु, नारद, कार्तिकेय और रावण को श्राप!!
एक बार भगवान शंकर ने माता पार्वती के साथ जुआ खेलने की अभिलाषा प्रकट की। खेल में भगवान शंकर अपना सब कुछ हार गए। हारने के बाद भोलेनाथ अपनी लीला को रचते हुए पत्तों के वस्त्र पहनकर गंगा के तट पर चले गए। कार्तिकेय जी को जब सारी बात पता चली, तो वह माता पार्वती से समस्त वस्तुएँ वापस लेने …
Read More »तू ही सागर है तू ही किनारा
ढून्डता है तू किसका सहारा ढून्डता है तू किसका सहारा कभी टन में कभी मान में उलझा तू सदा अपने दामन में उलझा सबसे जीटा तू अपने से हारा ढून्डता है तू किसका सहारा तू ही सागर है तू ही किनारा ढून्डता है तू किसका सहारा पाप क्या पुण्या क्या तू भुला दे कर्म कर फल की चिंता मिटा दे …
Read More »भगवान शिव के लिए माता पार्वती ने किया था घोर तप
शिवपुराण में कथा है कि ब्रह्माजी के आदेशानुसार भगवान शंकर को वरण करने के लिए पार्वती ने कठोर तप किया था। ब्रह्मा के आदेशोपरांत महर्षि नारद ने पार्वती को पंचाक्षर मंत्र ‘शिवाय नमः’ की दीक्षा दी। दीक्षा लेकर पार्वती सखियों के साथ तपोवन में जाकर कठोर तपस्या करने लगीं। उनके कठोर तप का वर्णन शिवपुराण में आया है। माता-पिता की …
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