ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
Read More »Mantra Jaap
“ॐ जय शिव ओंकारा”🙏🙏
यह केवल शिवजी की आरती नहीं है बल्कि ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों की आरती है“ॐ जय शिव ओंकारा”🙏🙏यह वह प्रसिद्ध आरती है जो देश भर में शिव-भक्त नियमित गाते हैं..लेकिन, बहुत कम लोग का ही ध्यान इस तथ्य पर जाता है कि… इस आरती के पदों में ब्रम्हा-विष्णु-महेश तीनों की स्तुति है..एकानन (एकमुखी, विष्णु), चतुरानन (चतुर्मुखी, ब्रम्हा) और पंचानन (पंचमुखी, …
Read More »कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्
हिन्दू मान्यता के अनुसार, किसी भी पूजा से पहले भगवान गणेश की स्तुति की जाती है. उसी तरह किसी भी देवी-देवता की आरती के बाद कर्पूर मंत्र का जाप करने का अपना महत्व है. भगवान शिव की ये स्तुति शिव-पार्वती विवाह के समय विष्णु द्वारा गाई गई है. ये समझा जाता है कि भगवान शिव जो शमशान वासी हैं, उनका …
Read More »🙏जय सियाराम🙏🙏जय सियाराम🙏
क्षीर सागर में भगवान बिष्णु शेष शैय्या पर विश्राम कर रहे हैं और लक्ष्मीजी उनके पैर दबा रही हैं। बिष्णुजी के एक पैर का अंगूठा शैय्या के बाहर आ गया और लहरें उससे खिलवाड़ करने लगीं। क्षीरसागर के एक कछुवे ने इस दृश्य को देखा और मन में यह बिचार कर कि मैं यदि भगवान बिष्णु के अंगूठे को अपनी …
Read More »तीन प्रकार के प्रारब्ध होते हैं-
मन्द प्रारब्धतीव्र प्रारब्ध3.तरतीव्र प्रारब्ध।मंद प्रारब्ध…. को तो आप वैदिक पुरुषार्थ से बदल सकते हैं,तीव्र प्रारब्ध…..आपके पुरुषार्थ एवं संतों-महापुरुषों की कृपा से टल सकता है लेकिनतरतीव्र प्रारब्ध…. में जो होता है वह होकर ही रहता है।एक बार रावण कहीं जा रहा था। रास्ते में उसे विधाता मिले। रावण ने उन्हें ठीक से पहचान लिया। उसने पूछाः“हे विधाता ! आप कहाँ से …
Read More »सरखेल कान्होजी आंग्रे : मराठा नौदल प्रमुख
मराठा साम्राज्य में सरखेल कान्होजी आंग्रे ‘मराठा नौसेना’ के प्रमुख थे । कान्होजी आंग्रे लगभग २५ वर्षों तक भारत के कोंकण का सागरी तट को स्वराज्य में सुरक्षित रखने में सफल हुए थे । सागर के सम्राट कान्होजी आंग्रे को नौसेनाधिपति (सरखेल) आंग्रे भी कहा जाता है । १८ वीं शताब्दी में वह मराठा साम्राज्य की नौसेना के सेनापति थे …
Read More »भगवान श्री राम को 14 वर्ष का वनवास
भगवान श्री राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ तो उनकी पत्नी माँ सीता ने भी सहर्ष वनवास स्वीकार कर लिया।परन्तु बचपन से ही बड़े भाई की सेवा मे रहने वाले लक्ष्मण जी कैसे राम जी से दूर हो जाते! माता सुमित्रा से तो उन्होंने आज्ञा ले ली थी, वन जाने की.. परन्तु जब पत्नी उर्मिला के कक्ष की ओर …
Read More »विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र
(ऋषि मुनियों द्वारा किया गया अनुसंधान)■ काष्ठा = सैकन्ड का 34000 वाँ भाग■ 1 त्रुटि = सैकन्ड का 300 वाँ भाग■ 2 त्रुटि = 1 लव ,■ 1 लव = 1 क्षण■ 30 क्षण = 1 विपल ,■ 60 विपल = 1 पल■ 60 पल = 1 घड़ी (24 मिनट ) ,■ 2.5 घड़ी = 1 होरा (घन्टा )■3 होरा=1प्रहर …
Read More »सनातन धर्म की जानकारी
1-अष्टाध्यायी पाणिनी2-रामायण वाल्मीकि3-महाभारत वेदव्यास4-अर्थशास्त्र चाणक्य5-महाभाष्य पतंजलि6-सत्सहसारिका सूत्र नागार्जुन7-बुद्धचरित अश्वघोष8-सौंदरानन्द अश्वघोष9-महाविभाषाशास्त्र वसुमित्र10- स्वप्नवासवदत्ता भास11-कामसूत्र वात्स्यायन12-कुमारसंभवम् कालिदास13-अभिज्ञानशकुंतलम् कालिदास14-विक्रमोउर्वशियां कालिदास15-मेघदूत कालिदास16-रघुवंशम् कालिदास17-मालविकाग्निमित्रम् कालिदास18-नाट्यशास्त्र भरतमुनि19-देवीचंद्रगुप्तम विशाखदत्त20-मृच्छकटिकम् शूद्रक21-सूर्य सिद्धान्त आर्यभट्ट22-वृहतसिंता बरामिहिर23-पंचतंत्र। विष्णु शर्मा24-कथासरित्सागर सोमदेव25-अभिधम्मकोश वसुबन्धु26-मुद्राराक्षस विशाखदत्त27-रावणवध। भटिट28-किरातार्जुनीयम् भारवि29-दशकुमारचरितम् दंडी30-हर्षचरित वाणभट्ट31-कादंबरी वाणभट्ट32-वासवदत्ता सुबंधु33-नागानंद हर्षवधन34-रत्नावली हर्षवर्धन35-प्रियदर्शिका हर्षवर्धन36-मालतीमाधव भवभूति37-पृथ्वीराज विजय जयानक38-कर्पूरमंजरी राजशेखर39-काव्यमीमांसा राजशेखर40-नवसहसांक चरित पदम् गुप्त41-शब्दानुशासन राजभोज42-वृहतकथामंजरी क्षेमेन्द्र43-नैषधचरितम श्रीहर्ष44-विक्रमांकदेवचरित बिल्हण45-कुमारपालचरित हेमचन्द्र46-गीतगोविन्द जयदेव47-पृथ्वीराजरासो चंदरवरदाई48-राजतरंगिणी कल्हण49-रासमाला सोमेश्वर50-शिशुपाल वध माघ51-गौडवाहो वाकपति52-रामचरित …
Read More »कुलदेवी के आशीर्वाद क्यों जरूरी हैं❓
इस विषय को समझते वक़्त सभी साधना, कुण्डलिनी, श्रीविद्या, दसमहाविद्या जो भी साधना आप कर रहे हो, सब एक बाजू रखें । क्योंकि कुलदेवी की कृपा का अर्थ है, सौ सुनार की एक लोहार की, बिना कृपा से किसीके कुल का वंश ही क्या कोई नाम कुछ भी आगे बढ नहीं सकता । लोग भावुक होकर अथवा आकर्षित होकर कई …
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