जो संपति सिव रावनहिंदीन्हि दिये दस माथसोई संपदा विभीसन्हिसकुचि दीन्ह रघुनाथ।। (‘रामचरितमानस’ सुन्दर कांड- दोहा क्रमांक 49 (ख)) प्रसंग है उस घटना का जब विभीषण अपने बड़े भाई रावण का साथ छोड़कर श्री राम की शरण में आये। मिलने पर विभीषण ने श्री राम से केवल उनकी भक्ति मांगी। श्री राम ने उन्हें अपनी भक्ति तो दी ही, साथ ही …
Read More »Gyan Ganga
संघर्ष तो जीवन का हिस्सा है
संघर्षों से ही भरी कहानी है भारतीय क्रिकेटर संजू सैमसन की; जो बिना हार माने मेहनत करते गए और आज अंतर्राष्ट्रीय भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा हैं।
Read More »जब भारत में गुप्त साम्राज्य था
लेकिन स्कन्दगुप्त ने उन्हें बुरी तरह पराजित किया जिसके कारण वे ईरान की तरफ चले गए।
Read More »झांसी की रानी लक्ष्मीबाई
बुंदेला वीर महाराजा मर्दन सिंह जूदेव व बाबू वीर कुंवर सिंह जैसे अनेक स्वतंत्रता सेनानी भारत देश की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजो के विरूद्ध विगूल फूंक ,अंग्रेजो के नाक में दम कर रखा था !!
Read More »कोरकू समुदाय
दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा था। पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ था। ब्रिटिश हुकूमत की गुलामी झेल रहा देश अत्याचार सहते हुए खून के आंसू रो रहा था
Read More »ये है सबसे ज्यादा प्लेटफॉर्म वाला रेलवे स्टेशन!
लेकिन देश का एक ऐसा स्टेशन है, जहां इतने प्लेटफॉर्म हैं कि पार करने में आपकी हालत खराब हो सकती है. कर्नाटक राज्य के हुबली रेलवे स्टेशन पर देश में सबसे ज्यादा प्लेटफॉर्म हैं,
Read More »SHIV DHYANA MANTRA / शिव ध्यान मंत्र
ध्याये नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारूचंद्रां वतंसं। रत्नाकल्पोज्ज्वलांगं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम।। पद्मासीनं समंतात् स्तुततममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं। विश्वाद्यं विश्वबद्यं निखिलभय हरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्।। सरल शब्दों में मतलब है कि पञ्चमुखी, त्रिनेत्रधारी, चांदी की तरह तेजोमयी, चंद्र को सिर पर धारण करने वाले, जिनके अंग-अंग रत्न-आभूषणों से दमक रहे हैं, चार हाथों में परशु, मृग, वर और अभय मुद्रा है। मुखमण्डल पर आनंद प्रकट होता …
Read More »एक वरिष्ठ वकील 46 दोषियों को मौत की सजा (फांसी) से बचाने के लिए बहस कर रहा था
तभी उसका सहायक अंदर आया और उसे एक छोटा सा कागज दिया, वकील ने इसे पढ़ा और अपनी जेब के अंदर रखा और अपनी बहस जारी रखी...,,लंच ब्रेक के दौरान,
Read More »कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली
बचपन से लेकर आज तक हजारों बार इस कहावत को सुना था कि "कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली"। आमतौर पर यह ही पढ़ाया और बताया जाता था कि इस कहावत का अर्थ अमीर और गरीब के बीच तुलना करने के लिए है
Read More »पवित्र भावना का प्रतिफल
सुरेश जी ने दूसरी शादी की तो सुरेखा को लगा कि उसे माँ मिल जाएगी। सुरेखा ने अपनी माँ की तरह ही चाहा राधा माँ को।
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