रामायण एक ऐसा ग्रन्थ है जो सदियो से मानव का मार्ग दर्शन कर रहा है । उसका हर एक पात्र अपने आप मे एक शिक्षा देता है | आपन उन किरदार के बारें में कितना ज्ञान रखते है | आपको सभी किरदार के बारें में बताते है, अगर कोई किरदार का नाम यहां पर नहीं है कृपा करके हमें बताये, हम उनका नाम और जानकारी भी दाल देंगे.
Read More »Gyan Ganga
विभिन्न प्रकार के नमक
खाना पकाने के लिए विभिन्न प्रकार के नमक के लिए एक मार्गदर्शिकाभोजन को पकाने और संरक्षित करने के लिए नमक एक आवश्यक घटक है, और खाना पकाने के लिए आप जिस प्रकार के नमक का उपयोग करते हैं, वह आपके भोजन के स्वाद और बनावट पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। निम्नलिखित मार्गदर्शिका आपको यह चुनने में मदद करेगी कि …
Read More »मेरे प्राण माँग लो, लेकिन मोबाइल नम्बर नहीं दूँगा
मोबाइल नम्बर के दुरुपयोग अपनी Privacy को समझिये और cyber crime से बचने के लिये ज़रूर पढ़े। एक भाई शर्ट खरीदने के लिये एक प्रतिष्ठित शो रूम के लिए गाड़ी से जा रहा था कि फोन की घण्टी बज उठी,“सर, महावीर होटल से बोल रहे हैं, हमारे यहाँ गुजराती-फ़ूड-फेस्टिवल चल रहा है।पिछली बार भी आप आये थे। आप विजिटर बुक …
Read More »ओम जयंती मंगला काली, भद्रकाली कपालिनी।
ओम जयंती मंगला काली, भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिव धात्री, स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते॥ ओम जयंती मंगला काली, भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिव धात्री, स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते॥
Read More »पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 20
सूतजी बोले :- हे विप्रो! नारायण के मुख से राजा दृढ़धन्वा के पूर्वजन्म का वृत्तान्त श्रवणकर अत्यन्त तृप्ति न होने के कारण नारद मुनि ने श्रीनारायण से पूछा ॥ १ ॥ नारद जी बोले – हे तपोधन! महाराज दृढ़धन्वा ने मुनिश्रेष्ठ बाल्मीकि जी से क्या कहा? सो विस्तार सहित विनीत मुझको कहिये ॥ नारायण बोले – हे नारद! सुनिये। राजा दृढ़धन्वा ने महाप्राज्ञ …
Read More »पुरुषोतम मास/अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 19
श्रीसूत जी बोले – हे तपस्वियो! इस प्रकार कहते हुए प्राचीन मुनि नारायण को मुनिश्रेष्ठ नारद मुनि ने मधुर वचनों से प्रसन्न करके कहा ॥ हे ब्रह्मन्!तपोनिधि सुदेव ब्राह्मण को प्रसन्न विष्णु भगवान् ने क्या उत्तर दिया सो हे तपोनिधे! मेरे को कहिये ॥ श्रीनारायण बोले – इस प्रकार महात्मा सुदेव ब्राह्मण ने विष्णु भगवान् से कहा। बाद भक्तवत्सल विष्णु भगवान् ने …
Read More »पुरुषोतम मास/अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 18
नारद जी बोले – हे तपोनिधे! उसके बाद साक्षात् भगवान् बाल्मीकि मुनि ने राजा दृढ़धन्वा को क्या कहा सो आप कहिये ॥ श्रीनारायण बोले – वह राजर्षि दृढ़धन्वा अपने पूर्व-जन्म का वृ्त्तान्त सुनकर आश्चीर्य करता हुआ मुनिश्रेष्ठ बाल्मीकि मुनि से पूछता है ॥ दृढ़धन्वा बोला – हे ब्रह्मन्! आपके नवीन-नवीन सुन्दर अमृत के समान वचनों को बारम्बार पान कर भी मैं तृप्त …
Read More »पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 17
नारदजी बोल:- हे कृपा के सिन्धु! उसके बाद जागृत अवस्था को प्राप्त उस राजा दृढ़धन्वा का क्या हुआ? सो मुझसे कहिये जिसके सुनने से पापों का नाश कहा गया है नारायणजी बोले : अपने पूर्व जन्म के चरित्र को सुनने से आश्चर्ययुक्त तथा और सुनने की इच्छा रखनेवाले राजा दृढ़धन्वा से बाल्मीकि ऋषि फिर बोले ॥ बाल्मीकि मुनि बोले: इस तरह …
Read More »पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 16
श्रीनारायण बोले:- हे महाप्राज्ञ! हे नारद! बाल्मीकि ऋषि ने जो परम अद्भुत चरित्र दृढ़धन्वा राजा से कहा उस चरित्र को मैं कहता हूँ तुम सुनो ॥ १ ॥ बाल्मीकि ऋषि बोले:- हे दृढ़धन्वन! हे महाराज! हमारे वचन को सुनिये। गरुड़ जी ने केशव भगवान् की आज्ञा से इस प्रकार ब्राह्मणश्रेष्ठ से कहा ॥ गरुड़जी बोले:- हे द्विजश्रेष्ठ! तुमको सात जन्म …
Read More »सिय राम मय सब जग जानी
Chaupai, Tulsidas ji went towards his home to take rest. While going on the way, he found a boy and said: Hey Mahatma ji,
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