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सुखी जीवन का मूलमंत्र

सुखी जीवन का मूलमंत्र

जापान के सम्राट यामातो का एक राज्यमंत्री था। जिसका नाम था ‘ओ-चो-सान’। उसका परिवार सौहार्द के लिए बड़ा प्रसिद्ध था। हालांकि उसके परिवार में लगभग एक हजार सदस्य थे, पर उनके बीच एकता का अटूट संबंध था। सभी सदस्य साथ-साथ रहते और साथ-साथ ही खान खाते थे। फिर उनमें द्वेष कलह की बात ही कहां? ओ-चो-सान के परिवार के सौहार्द …

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जानिए महात्मा गांधी की नजर में धर्म का अर्थ

जानिए महात्मा गांधी की नजर में धर्म का अर्थ

एक बार महामना मदनमोहन मालवीय, महात्मा गांधी व कुछ अन्य लोग धर्म पर चर्चा कर रहे थे। चर्चा के दौरान मालवीय जी ने गांधीजी से पूछा, ‘बापू आपकी दृष्टि में धर्म क्या है?’ तब गांधीजी बोले, मेरी दृष्टि से धर्म का अर्थ कर्तव्य है। समाज के हर व्यक्ति का अलग धर्म है। सैनिक का धर्म अपने राष्ट्र व समाज की …

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संयम की परीक्षा के लिए चाहिए आत्मसंयम

गुस्से को काबू करने का अचूक उपाय

प्राचीन मिस्र में जुन्नून नाम के एक प्रसिद्ध महान संत हुए थे। प्रसिद्ध मुस्लिम पीर यूसुफ़ हुसैन धर्म की दीक्षा लेने उनके पास पहुंचे। संत ने एक संदूक यूसूफ़ को दे दी और उसे नील नदी के किनारे बसे अपने मित्र को देकर आने के लिए कहा। यूसुफ़ हुसैन उसे लेकर चल पड़े। मार्ग में वे अपनी उत्सुकता को न …

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राजा और रंक यहां होते हैं एक समान

सुल्तान ग्यासुद्दीन तीर कमान से अभ्यास कर रहे थे। अचानक एक तीर एक बालक को लग गया और उसकी मृत्यु हो गई। बालक की मां ने दिल्ली के प्रधानमंत्री काजी सिराजुद्दीन की अदालत में मुकदमा दायर किया। काजी ने सुल्तान को अदालत में तलब किया। सुल्तान साधारण पोशाक में पेश हुए और मुजरिम की तरह खड़े हो गए। उन्होंने जुर्म …

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तीन अजब बातों का गजब चमत्कार

तीन अजब बातों का गजब चमत्कार

न्यायप्रिय राजा हरि सिंह बेहद बुद्धिमान था। वह प्रजा के हर सुख-दुख की चिंता अपने परिवार की तरह करता था। लेकिन कुछ दिनों से उसे स्वयं के कार्य से असंतुष्टि हो रही थी। उसने बहुत प्रयत्न किया कि वह अभिमान से दूर रहे पर वह इस समस्या का हल निकालने में असमर्थ था। एक दिन राजा जब राजगुरु प्रखरबुद्धि के …

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लोभी मनुष्य को स्वयं की तरह ही दिखाई देते हैं दूसरे लोग

greedy-people

बाबा अनंतराम हर समय लोगों की सेवा में जुटे रहते थे। उनके लाख मना करने पर भी लोग उन्हें खूब चढ़ावा चढ़ाया करते थे। बाबा उसे गरीबों में बांट देते थे। एक दिन एक सेठ ढेर सारे हीरे-मोती उनके चरणों में रखते हुए बोला- बाबा, मेरी ओर से यह भेंट स्वीकार करें। बाबा ने हीरे-मोतियों की ओर देखा तक नहीं …

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नम्र बनो कठोर नहीं

नम्र बनो कठोर नहीं

एक चीनी संत थे। वह बहुत वृद्ध थे। उन्होंने देखा कि अंत समय निकट आ गया है, तो अपने सभी भक्तों और शिष्यों को अपने पास बुलाया। वह सभी से बोले, थोड़ा मेरे मुंह के अंदर तो देखो भाई? मेरे कितने दांत शेष हैं। प्रत्येक शिष्य ने मुंह के भीतर देखा और प्रत्येक ने कहा कि दांत तो कई वर्षों …

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हम कल के लिए आज नहीं सोचते

हम कल के लिए आज नहीं सोचते

एक नगर में एक संपन्न सेठजी रहते थे। वह दिनभर खूब मेहनत से काम करते थे। एक दिन उन्हें न जाने क्या सूझा कि अपने मुनीम को बुलाकर कहा, ‘पता करो हमारे पास कितना धन है और कब तक के लिए पर्याप्त है?’ कुछ दिन बाद मुनीम हिसाब लेकर आया और सेठ जी से बोला, ‘जिस हिसाब से आज खर्चा …

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विचार देते हैं हौसला, समझदारी और शक्ति

दो तिनके एक नदी में गिर गए। दोनों एक ही हवा के झोंके से उड़कर एक ही साथ नदी तक आ पहुंचे थे। दोनों की परिस्थितियां समान थीं। परंतु दोनों की मानसिक स्थिति एक न थी। एक पानी में बह रहा था सुख-पूर्वक। तैरने का आनंद लेते हुए, तो दूसरे को किनारे पर पहुंचने की जल्दी थी। वह बड़े प्रयास …

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यूं ही नहीं दी जाती है अफलातून की मिसाल

शर्म नहीं आए तब तक सीखते रहिए

  अफलातून यूनानी दार्शनिक थे। उनके पास हर दिन कई विद्वानों का जमावड़ा लगा रहता था। सभी उनसे कुछ न कुछ ज्ञान प्राप्त करके जाया करते थे। लेकिन अफलातून खुद को कभी भी ज्ञानी नहीं मानते थे। वे हमेशा कुछ न कुछ नई बात सीखने को उत्सुक रहते थे। एक दिन उनके एक मित्र ने कहा, आपके पास दुनिया के …

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