राजा विक्रमादित्य अपने कंधे पर बेताल को लादने की कई कोशिश कर चुके थे, लेकिन हर बार बेताल कोई कहानी सुनाता और राज विक्रमादित्य से हाथों से बच निकलता। इस बार भी बेतान ने एक नई कहानी सुनाई। बेताल कहता है… एक बार की बात है, अंगदेश के एक गांव में एक ब्राह्मण अपनी पत्नी और तीन बेटों के साथ …
Read More »Gyan Shastra
मुंशी प्रेमचंद की कहानी : विजय!!
शहजादा मसरूर और मलका मखमूर दोनों शादी करके काफी खुश रहने लगे। मसरूर गाय चराता और खेत जोतता, तो वहीं मखमूर खाना पकाती और चरखा चलाती। इस तरह दोनों मिलजुल कर अपना जीवन चलाते थे। दोनों अपनी इस शादी-शुदा जिंदगी से काफी खुश थे। उनके जीवन में कोई फिक्र या परेशानी नहीं थी, लेकिन जैसे हर दिन एक जैसा नहीं …
Read More »शेखचिल्ली की कहानी : दूसरी कहानी!!
अपनी नासमझी की वजह से शेखचिल्ली कई सारी नौकरियों से हाथ धो बैठा था। कुछ समय बाद शेखचिल्ली को अपने पास की ही एक दुकान में काम मिल गया। उसे रोज दुकानदार कुछ सामान दूसरी जगह पर पहुंचाने को कहता था। इसी तरह एक दिन दुकानदार ने शेख को एक नमक की बोरी देकर किसी अन्य गांव पहुंचाने के लिए …
Read More »शेख चिल्ली की कहानी : पहली कहानी!!
शेखचिल्ली को एक बार किसी सेठ के घर नौकरी मिल गई। शेख उसके घर के सारे काम कर दिया करता था। सेठ को भी तसल्ली थी कि घर में कोई हाथ बंटाने वाला आ गया है। वो सोचते थे कि अब सारा काम आसानी से हो जाएगा और मुझे किसी चीज की फिक्र भी करनी नहीं पड़ेगी। शेख ने भी …
Read More »सिंहासन बत्तीसी की तेरहवीं कहानी – कीर्तिमती पुतली की कथा!!
बारहवीं पुतली की कहानी को सुनकर जैसे ही राजा भोज महाराज विक्रमादित्य के सिंहासन की ओर बढ़े तभी वहां पर तेरहवीं पुतली आ गई। तेरहवीं पुतली का नाम कीर्तिमती था। उसने राजा भोज को यह पूछते हुए रोक लिया कि क्या राजा विक्रमादित्य में मौजूद सभी खूबियां आपके अंदर है? राजा भोज ने हाथ जोड़ते हुए निवेदन किया कि हे …
Read More »सिंहासन बत्तीसी की छठी कहानी – रविभामा पुतली की कथा!!
पांचवीं पुतली से महाराज विक्रमादित्य की कहानी सुनकर जैसे ही राजा भोज सिंहासन पर बैठने लगे, तभी उन्हें छठवीं पुतली रविभामा ने रोक लिया। उसने राजा से पूछा कि क्या सच में वो इस सिंहासन पर बैठने योग्य हैं। रविभामा ने पूछा, क्या आप में महाराज विक्रमादित्य का वो गुण है, जो उन्हें सिंहासन पर बैठने योग्य बनाता था। जब …
Read More »सिंहासन बत्तीसी की नौवीं कहानी – मधुमालती पुतली की कथा!!
नवें दिन राजा भोज दरबार पहुंचे और विक्रमादित्य के सिंहासन पर बैठने लगे। इस बार उन्हें नवीं पुतली ने सिंहासन पर बैठने से रोक दिया। उसने कहा, “यहां बैठने के लिए तुम्हें राजा विक्रमादित्य जैसा होना पड़ेगा।” इतना कहकर वह विक्रमादित्य के गुणों को बताने के लिए कहानी सुनाने लगी। सालों से शासन करते हुए एक बार राजा विक्रमादित्य के …
Read More »सिंहासन बत्तीसी की दसवीं कहानी – प्रभावती पुतली की कथा!!
दसवें दिन दोबारा राजा भोज सिंहासन पर बैठने के लिए दरबार पहुंचे, तभी दसवीं पुतली प्रभावती ने सिंहासन से निकलकर उन्हें वहां बैठने से रोक दिया। प्रभावती ने कहा कि पहले आप राजा विक्रमादित्य की दयालुता की कथा सुनिए। अगर आप भी विक्रमादित्य जैसे दयालु होंगे, तो सिंहासन पर बैठ जाना। इतना कहने के बाद दसवीं पुतली राजा भोज को …
Read More »अकबर बीरबल की कहानी: धोखेबाज काजी!!
एक बार की बात है, मुगल दरबार में बादशाह अकबर अपने दरबारियों के साथ किसी मुद्दे पर चर्चा कर रहे थे। उसी समय वहां एक किसान अपनी फरियाद लेकर आया और बोला, “महाराज न्याय करो। मुझे इंंसाफ चाहिए।” यह सुनकर बादशाह अकबर बाेले कि क्या हुआ। किसान बोला, “महाराज मैं एक गरीब किसान हूं। कुछ समय पहले मेरी पत्नी का …
Read More »शेखचिल्ली की कहानी : बेगम के पैर!!
यह कहानी उन दिनों की है जब झज्जर शहर महेंद्रगढ़ का ही हिस्सा हुआ करता था। उस दौरान भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में विदेशियों के हमले हो रहे थे। पानीपत, रोहतक और दिल्ली जैसे शहरों पर खतरा ज्यादा था। उन दिनों नवाब झज्जर में मौजूद बुआवाल तालाब की मरम्मत करवा रहे थे, ताकि मुसीबत के समय रेवाड़ी के लोगों को …
Read More »