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Gyan Shastra

रामायण के सभी पात्र और उनका परिचय

रामायण एक ऐसा ग्रन्थ है जो सदियो से मानव का मार्ग दर्शन कर रहा है । उसका हर एक पात्र अपने आप मे एक शिक्षा देता है | आपन उन किरदार के बारें में कितना ज्ञान रखते है | आपको सभी किरदार के बारें में बताते है, अगर कोई किरदार का नाम यहां पर नहीं है कृपा करके हमें बताये, हम उनका नाम और जानकारी भी दाल देंगे.

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पुरुषोतम मास/अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 19

पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 19

श्रीसूत जी बोले – हे तपस्वियो! इस प्रकार कहते हुए प्राचीन मुनि नारायण को मुनिश्रेष्ठ नारद मुनि ने मधुर वचनों से प्रसन्न करके कहा ॥ हे ब्रह्मन्‌!तपोनिधि सुदेव ब्राह्मण को प्रसन्न विष्णु भगवान्‌ ने क्या उत्तर दिया सो हे तपोनिधे! मेरे को कहिये ॥ श्रीनारायण बोले – इस प्रकार महात्मा सुदेव ब्राह्मण ने विष्णु भगवान्‌ से कहा। बाद भक्तवत्सल विष्णु भगवान् ने …

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पुरुषोतम मास/अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 18

पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 18

नारद जी बोले – हे तपोनिधे! उसके बाद साक्षात्‌ भगवान्‌ बाल्मीकि मुनि ने राजा दृढ़धन्वा को क्या कहा सो आप कहिये ॥ श्रीनारायण बोले – वह राजर्षि दृढ़धन्वा अपने पूर्व-जन्म का वृ्त्तान्त सुनकर आश्चीर्य करता हुआ मुनिश्रेष्ठ बाल्मीकि मुनि से पूछता है ॥ दृढ़धन्वा बोला – हे ब्रह्मन्‌! आपके नवीन-नवीन सुन्दर अमृत के समान वचनों को बारम्बार पान कर भी मैं तृप्त …

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दहलीज

। अम्मा खटिया पर लेटकर जब तब मधुकर बाबू को गरुड़ पुराण का वाचन करती कि लड़का पैदा न हो तो मुक्ति नहीं मिलती। लक्ष्मी छोटी बिटिया का नाम दुर्गा रखना चाहती थी पर अम्मा बोली का दुर्गा रखोगी? जैसा नाम वैसा ही गुण आ जाता है।

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अमर विश्वास

. उस दिन सफर से लौट कर मैं घर आया तो पत्नी ने आ कर एक लिफाफा मुझे पकड़ा दिया. लिफाफा अनजाना था लेकिन प्रेषक का नाम देख कर मुझे एक आश्चर्यमिश्रित जिज्ञासा हुई.

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मेरे बिन घर घर नही

आज मंदाकिनी घूमने जा रही है लेकिन यह क्या जैसे ही वह घर से बाहर निकली उसे तो बार-बार घर की ही याद आ रही थी वह शरीर से तो बाहर घूमने निकली थी लेकिन उसका मन घर के अंदर ही था।

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ढलते सूरज के साथ ही शाम की अगुवाई हो रही थी.

अकेले अपनी गैलरी में कुर्सी पर बैठकर कलराव करते लौट कर अपने घर को जाते पंछियों को देख रहे थे ल उनका एक साथ उड़कर चहचहाना झुंड के रूप में एक साथ उड़ना उनको मानो कुछ याद दिला रहा था

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कोरकू समुदाय

दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा था। पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ था। ब्रिटिश हुकूमत की गुलामी झेल रहा देश अत्याचार सहते हुए खून के आंसू रो रहा था

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