। अम्मा खटिया पर लेटकर जब तब मधुकर बाबू को गरुड़ पुराण का वाचन करती कि लड़का पैदा न हो तो मुक्ति नहीं मिलती। लक्ष्मी छोटी बिटिया का नाम दुर्गा रखना चाहती थी पर अम्मा बोली का दुर्गा रखोगी? जैसा नाम वैसा ही गुण आ जाता है।
Read More »Motivational Story
जब भारत में गुप्त साम्राज्य था
लेकिन स्कन्दगुप्त ने उन्हें बुरी तरह पराजित किया जिसके कारण वे ईरान की तरफ चले गए।
Read More »अमर विश्वास
. उस दिन सफर से लौट कर मैं घर आया तो पत्नी ने आ कर एक लिफाफा मुझे पकड़ा दिया. लिफाफा अनजाना था लेकिन प्रेषक का नाम देख कर मुझे एक आश्चर्यमिश्रित जिज्ञासा हुई.
Read More »मेरे बिन घर घर नही
आज मंदाकिनी घूमने जा रही है लेकिन यह क्या जैसे ही वह घर से बाहर निकली उसे तो बार-बार घर की ही याद आ रही थी वह शरीर से तो बाहर घूमने निकली थी लेकिन उसका मन घर के अंदर ही था।
Read More »ढलते सूरज के साथ ही शाम की अगुवाई हो रही थी.
अकेले अपनी गैलरी में कुर्सी पर बैठकर कलराव करते लौट कर अपने घर को जाते पंछियों को देख रहे थे ल उनका एक साथ उड़कर चहचहाना झुंड के रूप में एक साथ उड़ना उनको मानो कुछ याद दिला रहा था
Read More »कोरकू समुदाय
दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा था। पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ था। ब्रिटिश हुकूमत की गुलामी झेल रहा देश अत्याचार सहते हुए खून के आंसू रो रहा था
Read More »मनमोहन कृष्ण हिंदी सिनेमा के स्वर्ण युग
उन्होंने करीब 250 फिल्मों में काम किया. उनकी कुछ प्रमुख फिल्मों में बैजू बावरा, अनारकली, नया दौर, साधना, धूल का फूल, बीस साल बाद, वक्त, काला पत्थर और दिल तेरा दीवाना शामिल हैं। 'धूल का फूल' का लोकप्रिय गाना
Read More »गढ़वाल राइफल क्या है
अपनी मात्र भूमि के लिए वीर गति को प्राप्त हो गया और जिसने अकेले ३०० चीनी सैनिकों को मर गिराया| जी हाँ मित्रों ३०० सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था इस महावीर ने| इनका नाम है जसवंत सिंह रावत और यह एक उत्तराखंडी है|जसवंत सिंह के नाम पर एक गाँव का नाम जसवंतपुर भी है| इन्हें इनकी बहादुरी के लिए महावीर चक्र भी दिया गया
Read More »माँ कभी वापिस नहीं आती है।
मम्मा को दिखा दो, मम्मा को देख लूँ, मम्मा कहाँ गयी ?... उम्र - चार साल* -- मम्मी कहाँ हो ? मैं स्कूल जाऊँ ? अच्छा bye मुझे आपकी याद आती है स्कूल में..
Read More »कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली
बचपन से लेकर आज तक हजारों बार इस कहावत को सुना था कि "कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली"। आमतौर पर यह ही पढ़ाया और बताया जाता था कि इस कहावत का अर्थ अमीर और गरीब के बीच तुलना करने के लिए है
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